
सन्दर्भ-हरियाणा के एक रामसर स्थल – “सुल्तानपुर नेशनल पार्क” में आयोजित “विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2022” पर राष्ट्रीय स्तर का समारोह मनाया गया,जिसमे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भाग लिया।
:इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का विषय “लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि की भूमिका”
प्रमुख तथ्य-सरकार आर्द्रभूमि के क्षरण तथा नुकसान को रोकने एवं पुनः आर्द्रभूमि बनाने में समुदायों और नागरिकों को शामिल करते हुए सकारात्मक कार्रवाई कर रही है।
:इस अवसर पर दो नए रामसर स्थलों गुजरात में खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य की भी घोषणा की गई थी।
:भारत में अब 10,93,636 हेक्टेयर क्षेत्र में 49 रामसर साइटों का एक नेटवर्क है,जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है।
:उत्तर प्रदेश में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य बड़ी संख्या में मध्य एशियाई पक्षियों की प्रजातियों के लिए सर्दियों में सुरक्षित और अनुकूल स्थल प्रदान करता है।
:जबकि पक्षियों की व्यापक विविधता वाला खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य तटीय आर्द्रभूमि है,जो लुप्तप्राय और कमजोर प्रजातियों को एक सुरक्षित आवास प्रदान करती है।
:पर्यावरण मंत्री ने भारत की आर्द्रभूमियों के संरक्षण, पुनर्स्थापन और प्रबंधन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के लिए लोगो को शपथ दिलाई।
:इस अवसर पर, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी),अहमदाबाद द्वारा तैयार “नेशनल वेटलैंड डेकाडल चेंज एटलस” का भी विमोचन किया गया,जिसमें पिछले एक दशक में देश भर में आर्द्रभूमि में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया है।
:स्पेस एप्लीकेशन सेंटर द्वारा 2011 में मूल एटलस का विमोचन किया गया था।
:नया एटलस वेटलैंड ऑफ इंडिया पोर्टल पर उपलब्ध है- क्लिक करें