सन्दर्भ:
: 12वां सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन (SMDS-XII) दून विश्वविद्यालय, देहरादून में शुरू हुआ।
सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन के बारें में:
: भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) की पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने वाला एक प्रमुख वार्षिक शिखर सम्मेलन।
: संवाद, ज्ञान साझाकरण और नीतिगत सिफारिशों के लिए एक बहु-हितधारक मंच के रूप में कार्य करता है।
: यह नागरिक समाज द्वारा संचालित नेटवर्क, इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (IMI) द्वारा संचालित।
: पहली बार 2011 में नैनीताल, उत्तराखंड (SMDS-I) में आयोजित।
: इसके उद्देश्य:-
- पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में सतत विकास को बढ़ावा देना।
- शासन और नीति-निर्माण में सामुदायिक भागीदारी को मज़बूत करना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन के लिए विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान का मिश्रण।
- भारत के राष्ट्रीय और वैश्विक विकास एजेंडे में पर्वतीय चिंताओं को मुख्यधारा में लाना।
: इसकी विशेषताएँ:-
- पर्वतीय विधायकों की बैठक (एमएलएम): IHR राज्यों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ नीतिगत संवाद।
- भारतीय हिमालयी युवा शिखर सम्मेलन: युवाओं के लिए चुनौतियों और समाधानों पर अपनी बात रखने का मंच।
- ज्ञान सत्र: कृषि पारिस्थितिकी, आपदा प्रबंधन, सतत पर्यटन और जलवायु अनुकूलन पर चर्चा।
- विभिन्न क्षेत्रों की भागीदारी: इसमें वैज्ञानिक, किसान, गैर सरकारी संगठन, शिक्षाविद और सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।
: इसके महत्व:-
- नीतिगत प्रभाव: राज्य और केंद्र की नीतियों को प्रभावित करने वाली कार्यान्वयन योग्य सिफ़ारिशें प्रदान करता है।
- जलवायु लचीलापन: पारंपरिक खेती, जैविक पद्धतियों और आपदा तैयारी को अपनाने को प्रोत्साहित करता है।
