सन्दर्भ-संसद की लोक लेखा समिति(PAC) इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रही है,इस उपलक्ष्य में 4-5 दिसंबर को दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
:इस दो दिवसीय समारोह का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा संसद के केंद्रीय कक्ष में किया जायेगा।
प्रमुख तथ्य-समारोह में 52 राष्ट्रमंडल देशों को निमंत्रण भेजा गया था परन्तु कोविड के चलते कोई भी विदेशी प्रतिनिधि मण्डल इसमें शामिल नहीं हो रहा है।
: इस समारोह में चार सत्र होंगे जिसमे PAC के कामकाज से सम्बंधित विषयों पर चर्चा की जाएगी।
:विषय है-चुनैतियाँ तथा आगे की दिशा,PAC दृष्टिकोण साकार करना,गैर सरकारी स्रोतों से जानकारी एकत्र करना तथा कार्यक्रमों,योजनाओं और परियोजनाओं के परिणाम का आंकलन,समय सीमा और तंत्र का अनुपालन करते हुए PAC की सिफारिशों को कड़ाई से लागू करना।
लोक लेखा समिति-
इस समिति का पहली बार गठन 1921 में मांटेग्यु चेम्सफोर्ड रिफार्म के तहत किया गया था।
:यह समिति,संसद के चयनित सदस्यों की समिति है,जो भारत सरकार के राजस्व व्यय का लेखा परीक्षण करती है।
:PAC हर साल लोकसभा में प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम के नियम 308 के तहत गठित की जाती है।
:लोक लेखा समिति में 22 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं इनमें से 15 सदस्य लोकसभा से तथा 7 राज्यसभा से निर्वाचित किए जाते हैं।
:यह सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है क्योकि इसके सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है।
:समिति यह भी जाँच करती है कि सरकार द्वारा जीन कार्यों के लिए धन का आवंटन किया गया है उसका व्यय उसी क्षेत्र में किया जा रहा है या नहीं।
:वर्तमान में इस समिति के सभापति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधीन रंजन चौधरी है।
:इस समिति के प्रथम सभापति डब्ल्यू एम हेली थे।
:गौरतलब है कि 1966-67 तक सत्तारूढ़ दल के किसी वरिष्ठ सदस्य को पीएसी का सभापति नियुक्त किया जाता था।
:1967 में पहली बार विपक्ष के किसी सदस्य को इसका सभापति बनाया गया।