सन्दर्भ:
: वासेनार अरैंजमेंट (Wassenaar Arrangement) को क्लाउड प्रौद्योगिकी के अनुकूल होने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए नियंत्रण सूचियों और प्रवर्तन तंत्रों को अद्यतन करने की आवश्यकता है।
वासेनार अरैंजमेंट के बारे में:
: यह पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के लिए एक बहुपक्षीय “निर्यात नियंत्रण व्यवस्था” है।
: यह संस्था शीत युद्ध काल की बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण समन्वय समिति का स्थान लेने के लिए 1996 में अस्तित्व में आई थी।
: इसका नाम नीदरलैंड के हेग शहर के एक उपनगर वासेनार से लिया गया है, जहाँ 1995 में इस तरह के बहुपक्षीय सहयोग की शुरुआत के लिए समझौता हुआ था।
: उद्देश्य– पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के साथ-साथ प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता और अधिक ज़िम्मेदारियों को बढ़ावा देना, ताकि अस्थिरता पैदा करने वाली कार्रवाइयों को रोका जा सके।
: सदस्य देश- 42 सदस्य।
: भारत 2017 में वासेनार व्यवस्था में शामिल हुआ और इसकी सूचियों को अपने विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी ढाँचे में शामिल किया।
: मुख्यालय- वियना, ऑस्ट्रिया।
: वासेनार व्यवस्था कैसे काम करती है?
- यह समूह पारंपरिक और परमाणु-सक्षम दोनों प्रकार की तकनीकों के संबंध में नियमित रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है, जिन्हें समूह के बाहर के देशों को बेचा जाता है या नहीं बेचा जाता है।
- यह उन रसायनों, तकनीकों, प्रक्रियाओं और उत्पादों की विस्तृत सूचियों के रखरखाव और अद्यतन के माध्यम से किया जाता है जिन्हें सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- सूचनाओं के इस आदान-प्रदान के माध्यम से, समूह का उद्देश्य उन देशों या संस्थाओं को तकनीक, सामग्री या घटकों की आवाजाही को नियंत्रित करना है जो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को कमजोर करते हैं।
