सन्दर्भ-विज्ञान और प्रौद्योगिकी,पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की,जिसमे जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने पाया है कि कुछ प्रजातियों को वन्यजीवों और पौधों की विभिन्न अनुसूचियों से बाहर रखा गया है जिन्हें पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित किया गया है,और इन प्रजातियों को शामिल करने के लिए अनुसूचियों की संशोधित सूची की सिफारिश की है।
प्रमुख तथ्य-वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम,1972 (Wild Life (Protection) Act, 1972) जंगली जानवरों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण,उनके आवासों के प्रबंधन और जंगली जानवरों, पौधों और उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन और नियंत्रण के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
:अधिनियम में पौधों और जानवरों के शेड्यूल को भी सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सुरक्षा और निगरानी प्रदान की जाती है।
:अधिनियम में कई बार संशोधन किया गया है, अंतिम संशोधन 2006 में किया गया था।
:मंत्रालय ने प्रजातियों की समय-सारणी को मूल छह अनुसूचियों से सुव्यवस्थित कर केवल तीन कर दिया है –
अनुसूची I-उन प्रजातियों के लिए जो उच्चतम स्तर की सुरक्षा का लाभ लेंगी।
अनुसूची II-उन प्रजातियों के लिए जो कम सुरक्षा के अधीन होंगी
अनुसूची III-जो पौधों को कवर करती है।
:संसदीय समिति ने कहा कि जब यह युक्तिकरण और अनुसूचियों में कमी के साथ समझौता कर रहा था,तो यह “तीनों अनुसूचियों में कई प्रजातियों को गायब पाया गया”।
:समिति ने तीनों अनुसूचियों में बड़े बदलावों की सिफारिश की है,और अनुसूचियों I और II के पुनर्गठन को भी इस तरह से पुनर्गठित किया है जिससे उन्हें “पढ़ने और देखने में आसान” हो।
:समिति यह भी बताना चाहेगी कि विधेयक में अनुसूचियों की संख्या में कमी के कारण,कई प्रजातियां अनुसूची I या अनुसूची II में शामिल नहीं हो पाती हैं।
:समिति इस तथ्य से गहराई से अवगत है कि कुछ राज्यों में कई धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों में हाथी हैं जो दैनिक पूजा और अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।