सन्दर्भ:
: हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में लेडी जस्टिस की प्रतिमा का अनावरण (Statue of Lady Justice) किया गया, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रभाव के प्रतीक पुराने संस्करण के स्थान पर स्थापित की गई है।
लेडी जस्टिस की प्रतिमा की विशेषताएँ:
: पारंपरिक पोशाक- नई प्रतिमा को साड़ी पहनाई गई है, जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने के लिए पश्चिमी पोशाक की जगह ले रही है।
: आँखें खुली हुई- पारंपरिक रूप से आँखों पर पट्टी बाँधे महिला न्यायधीश के विपरीत, नई प्रतिमा की आँखें खुली हुई हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि भारत में न्याय अंधा नहीं है, बल्कि सभी को समान रूप से देखता है, देश की सामाजिक विविधता और चुनौतियों को पहचानता है।
: न्याय का तराजू- प्रतिमा के एक हाथ में तराजू है, जो निष्पक्ष रूप से साक्ष्य को तौलने और निर्णयों में निष्पक्षता बनाए रखने का प्रतीक है।
: हाथ में संविधान- प्रतिमा के दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारतीय संविधान है, जो बल या दंड के उपयोग पर भारत की कानूनी प्रणाली में संविधान की सर्वोच्चता पर जोर देता है।
: उपनिवेशवाद का उन्मूलन- आँखों पर पट्टी और तलवार जैसे औपनिवेशिक प्रतीकों से बदलाव न्यायिक छवि को स्वदेशी बनाने और उपनिवेशवाद का उन्मूलन करने का प्रयास दर्शाता है, जो प्रतिमा को भारतीय न्यायशास्त्र और मूल्यों के सिद्धांतों के साथ जोड़ता है।