सन्दर्भ:
: भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने अपतटीय तेल और गैस की खोज को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गहरे जल अन्वेषण मिशन (National Deep Water Exploration Mission) की घोषणा की।
राष्ट्रीय गहरे जल अन्वेषण मिशन के बारें में:
: इसका लक्ष्य ऊर्जा आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अंडमान सागर और आंध्र तट के गहरे जल जैसे क्षेत्रों को लक्षित करना है।
: यह भारत के समुद्र तल के नीचे अप्रयुक्त तेल और गैस भंडारों का अन्वेषण करने हेतु एक प्रमुख ऊर्जा सुरक्षा पहल है।
: इसे अपतटीय अन्वेषण में तेजी लाने के लिए मिशन मोड में संचालित करने हेतु डिज़ाइन किया गया।
: नोडल मंत्रालय- यह पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत, तथा हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (DGH) और संबद्ध अनुसंधान संस्थानों द्वारा समर्थित है।
: इसका उद्देश्य:-
- कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भरता कम करना।
- घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।
- भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करना।
- ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना।
: इसकी मुख्य विशेषताएँ:-
- गहरे पानी पर ध्यान केंद्रित: अंडमान-निकोबार बेसिन और आंध्र तट जैसे अनछुए अपतटीय क्षेत्रों को लक्षित करना।
- नीतिगत सुधारों का समर्थन: ओपन एकरेज लाइसेंसिंग नीति (OALP) और हाल ही में अन्वेषण-अनुकूल विधायी परिवर्तनों से जुड़ा हुआ।
- बड़े पैमाने पर बोली: अन्वेषण के लिए पूर्व में निषिद्ध 10 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को खोलना।
- उन्नत तकनीक: भूकंपीय सर्वेक्षण, आधुनिक ड्रिलिंग तकनीक और AI-सक्षम अन्वेषण उपकरणों का उपयोग।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग: घरेलू और वैश्विक दोनों पक्षों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करना।
: इसका महत्व:-
- ऊर्जा स्वतंत्रता- भारत की वर्तमान कच्चे तेल आयात पर 88% और गैस आयात पर 50% निर्भरता कम करता है।
- आर्थिक लाभ- आयात बिलों में अरबों की बचत; सामाजिक कल्याण और बुनियादी ढाँचे के लिए धन का पुनर्निर्देशन।
- सामरिक सुरक्षा- अस्थिर वैश्विक बाज़ारों के बीच घरेलू ऊर्जा संसाधनों पर नियंत्रण को मज़बूत करता है।