चर्चा क्यों है-उच्च न्यायालय ने जम्मू और कश्मीर के रोशनी अधिनियम को रद्द करने के एक साल बाद अब लाभार्थियों को इस अधिनियम के तहत दी गई भूमि को पुनः प्राप्त करने की प्रयास शुरू कर दी है।
:रद्द होने के कारण-2009 में, राज्य सतर्कता संगठन ने कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट किया गया था जीन पर इस अधिनियम के अंतर्गत मानदंडों को पूरा न करने वाले कब्जाधारकों को अवैध रूप से भूमि के स्वामित्व अधिकार दे दिया गया था।इसे 28 नवंबर 2013 को तत्कालीन राजयपाल सत्यपाल मलिक ने रद्द कर दिया था।
:नेताओं और प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने हेतु तय कीमतों में मनमानी ढंग से कमी किये गया था।
:2014 में, CAG की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि 2007 और 2013 के बीच अतिक्रमित भूमि के हस्तांतरण से 25,000 करोड़ रुपये की तुलना में केवल 76 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी,जिससे कानून के उद्देश्य सफल न हो सका।
क्या है रोशनी अधिनियम-2001 में अधिनियमित,जिसके माध्यम से अनधिकृत भूमि को नियमित करने करना था।
:इस अधिनियम में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य चुकाए जाने के बाद,राज्य की भूमि की भूमि पर तत्कालीन कब्जेदारों को हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया था।
:सरकार ने कहा कि प्राप्त राजस्व को पनबिजली परियोजनाओं को चालू करने पर खर्च किया जाएगा,इसलिए इसका नाम “रोशनी” रख दिया गया था।
:इसके अलावा,संशोधनों के माध्यम से,सरकार ने कृषि भूमि पर कब्जा करने वाले किसानों को मुफ्त में स्वामित्व अधिकार भी दिया,उन्हें दस्तावेज़ीकरण शुल्क के रूप में केवल 100 रुपये प्रति कनाल चार्ज किया गया था।
प्रमुख तथ्य- रोशनी अधिनियम लागु होने से पहले 10 लाख कनाल(जमीन की माप) सरकारी जमीन लोगो के कब्जे में थी।
:1950 में भूमि सुधार लाने वाला जम्मू और कश्मीर पहला राज्य बना था,फिर 2001 में मुख्यमंत्री फ़ारुक़ अब्दुल्ला की सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य :भूमि एक्ट 2001 लाया गया था इसी का बाद में रोशनी एक्ट के रूप में नामकरण किया गया।
:इस एक्ट को लाने का उद्देश्य था राज्य के भूमि पर अनधिकृत रूप से किए गए कब्जे को हटाकर नियमित करना।