सन्दर्भ-मेघालय के “लिविंग रूट ब्रिज” को यूनेस्को (UNESCO)की विश्व धरोहर स्थलों की सम्भावीत सूची में शामिल किया गया है।
प्रमुख तथ्य-यह संभावित सूची ऐसी सम्पतियों की सूची होती है जिन पर प्रत्येक देश नामांकन के लिए विचार करता है।
:मेघालय में लिविंग रूट ब्रिज लोगो और प्रकृति के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और सामाजिक एवं वानस्पतिक संबंधों को दिखलाते है।
:ये ब्रिज मेघालय के 70 से अधिक गांवों में 100 से अधिक पाए गए है।
क्या है लिविंग रूट ब्रिज-रबर के पेड़ों की जड़ों से बने इन ब्रिजों को स्थानीय रूप से जिंगजिएंग जीरी कहा जाता है।
:रबर के पेड़ों की जड़ों को फिकस इलास्टिका (Ficus Elastica) के रूप में जाना जाता है।
:मेघालय के सबसे बड़े आकर्षण के केंद्र के रूप में इनकी पहचान है।
:एक बार ये जड़ पूर्ण रूप से विकसित होने पर 500 साल तक बरकरार रहती है।
:इन ब्रिजों में से कुछ की लम्बाई 100 फ़ीट से भी अधिक होता है।
विश्व धरोहर स्थल-यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन विश्व विरासत सूची में शामिल विभिन्न क्षेत्र या वस्तुएं है।
:यह विश्व में सांस्कृतिक खजाने के संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक ढांचा प्रदान करता है।
:विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण सम्बन्ध में कन्वेंशन के तहत साइटों को उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य के रूप नामित किया गया है।
:विश्व विरासत स्थल के लिए यूनेस्को के 10 मापदंडों में से कम से कम एक का होना जरुरी है।
:इसमें तीन प्रकार की साइटों को शामिल किया गया है-
सांस्कृतिक-रामप्पा मंदिर और धौलावीरा इस सूची में शामिल नवीनतम साइटें है,कुल 32 सांस्कृतिक स्थल है।
प्राकृतिक -कुल 7 स्थल है,ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान व अन्य।
मिश्रित – कुल 1 ही स्थल शामिल है,कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान।
:भारत में सबसे पहले एलोरा की गुफा को विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया था।
:भारत में महारष्ट्र में सबसे अधिक स्थल है।
:इटली, विश्व धरोहर स्थलों की सूची में प्रथम स्थान पर हैं|
UNESCO-:United Nations Educational Scientific and Cultural Organization
:स्थापना-16 नवंबर 1945
:मुख्यालय-पेरिस, फ्रांस
:हर साल18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है।