सन्दर्भ:
: हाल ही में, वैज्ञानिकों के अध्ययन से उस रेसिपी का पता चला है जो मुश्क बुदजी चावल (Mushk budiji Rice) को अनूठी सुगंध देती हैं।
मुश्क बुदजी चावल के बारे में:
: अध्ययन ने बताया कि ऊंचाई और तापमान मुश्क बुदजी सुगंध के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
: यह छोटा, मोटा सुगंधित चावल है जो कश्मीर घाटी के ऊंचे इलाकों में उगाया जाता है।
: इसमें स्वाद, सुगंध और समृद्ध ऑर्गेनोलेप्टिक गुणों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।
: यह मुख्य रूप से अनंतनाग जिले के सगाम, पंजगाम और सोफ शाली के क्षेत्रों में उगाया जाता है।
: कश्मीर में सुगंधित चावल की खपत अब विशेष अवसरों, विवाह और त्योहारों तक ही सीमित हो गई है।
: इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ है।
अध्ययन की मुख्य बातें:
: वैज्ञानिक गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोस्कोपी (GC-MS) और ‘इलेक्ट्रॉनिक नाक’ का उपयोग करके मुश्क बुदजी के स्वाद प्रोफ़ाइल पर चयनित स्थानों का अध्ययन करते हैं।
: इन अध्ययनों के आधार पर, वैज्ञानिकों ने मुश्क बुदजी चावल के नमूनों में 35 वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) की पहचान की।
: एसिटाइल-1-पाइरोलिन (2-AP) एक ज्ञात सुगंधित यौगिक है जो कुछ किस्मों में पाया जाता है – लेकिन यह केवल उच्च ऊंचाई से एकत्र किए गए मुश्क बुदजी नमूनों में मौजूद था।
क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोस्कोपी क्या है?
: यह एक विश्लेषणात्मक विधि है जिसका उपयोग भूवैज्ञानिक, पर्यावरण और जैविक नमूनों से निकाले गए कार्बनिक मिश्रण में मौजूद वाष्पशील यौगिकों की उपस्थिति को प्रकट करने के लिए किया जाता है।