सन्दर्भ:
: मिजोरम के मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर मिजोरम को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित कर दिया है, इसके साथ ही, पूर्ण साक्षरता हासिल करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
पूर्ण साक्षर राज्य के बारें में:
: किसी राज्य को पूर्ण साक्षर तब माना जाता है जब उसकी साक्षरता दर उल्लास योजना के तहत निर्धारित मानक के अनुसार 95% से अधिक हो।
: पीएलएफएस 2023-24 के अनुसार मिजोरम ने 98.2% की साक्षरता दर हासिल की, जो सीमा से अधिक है।
: मिजोरम (2011 की जनगणना में साक्षरता दर: 91.33%)
: प्रयुक्त पहल- उल्लास के तहत नव भारत साक्षरता कार्यक्रम।
: ज्ञात हो कि इससे पहले 24 जून 2024 को लद्दाख पूर्ण साक्षरता घोषित करने वाली पहली प्रशासनिक इकाई बनी थी।
उल्लास योजना के बारे में:
: ULLAS Scheme- Understanding Lifelong Learning for All in Society.
: शिक्षा मंत्रालय के तहत वित्त वर्ष 2022-2027 में लॉन्च किया गया।
: यह केंद्र प्रायोजित योजना है।
: बजट परिव्यय- ₹1037.90 करोड़ (₹700 करोड़ केंद्र + ₹337.90 करोड़ राज्य का हिस्सा)
: इसका उद्देश्य:-
- एनईपी 2020 के अनुरूप समावेशी वयस्क शिक्षा को बढ़ावा देना।
- पूरे भारत में 15+ आयु वर्ग के निरक्षरों को लक्षित करना।
- कार्यात्मक साक्षरता, डिजिटल कौशल और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
: मुख्य घटक:-
- बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN): गैर-साक्षर वयस्कों को बुनियादी पढ़ना, लिखना और अंकगणित कौशल सिखाता है।
- महत्वपूर्ण जीवन कौशल: स्वास्थ्य जागरूकता, वित्तीय साक्षरता और परिवार कल्याण जैसे आवश्यक ज्ञान को शामिल करता है।
- बुनियादी शिक्षा: प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्कूली शिक्षा के बराबर शिक्षा प्रदान करता है।
- व्यावसायिक कौशल: स्थानीय स्तर पर रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने के लिए नौकरी-उन्मुख कौशल प्रदान करता है।
- सतत शिक्षा: सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और मनोरंजक पाठ्यक्रमों के माध्यम से आजीवन शिक्षा प्रदान करता है।
: कार्यान्वयन विशेषताएँ:-
- स्वयंसेवी-आधारित शिक्षण: वयस्क शिक्षार्थियों के लिए शिक्षकों के रूप में प्रशिक्षित सामुदायिक स्वयंसेवकों का उपयोग करता है।
- डिजिटल-प्रथम वितरण: शिक्षण सामग्री मोबाइल ऐप, टीवी, रेडियो और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से वितरित की जाती है।
- नामांकन आँकड़े: 2025 तक 2.37 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 40.84 लाख स्वयंसेवी शिक्षक पंजीकृत हो चुके हैं।
- मूल्यांकन विधि: शिक्षार्थियों का मूल्यांकन मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षण (FLNAT) के माध्यम से किया जाता है।