सन्दर्भ-ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी की गई नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में 180 देशों में भारत की रैंक 85वां है।
हालांकि, देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई।
प्रमुख तथ्य-भारत की रैंक में एक स्थान का सुधार हुआ है,पिछले वर्ष यह रैंक 86 थी।
:सूचकांक,जो 180 देशों और क्षेत्रों को,सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के उनके कथित स्तरों से रैंक करता है, 0 से 100 के पैमाने का उपयोग करता है, जहां 0 अत्यधिक भ्रष्ट है और 100 बहुत साफ है।
:इस सूचकांक में डेनमार्क,फिनलैंड,न्यूजीलैंड और नॉर्वे उच्चतम स्कोर के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं।
:कमजोर स्कोर वाले देशों में दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले देश जैसे चीन (45) और भारत (40), और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जैसे इंडोनेशिया (38), पाकिस्तान (28) और बांग्लादेश (26) शामिल हैं।
:पिछले एक दशक में भारत का स्कोर स्थिर रहा है,कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार पर शासन करने में मदद कर सकते हैं वे कमजोर हो रहे हैं।
:रिपोर्ट के अनुसार सरकार के खिलाफ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षा, मानहानि,देशद्रोह,अभद्र भाषा और अदालत की अवमानना के आरोपों और विदेशी फंडिंग पर नियमों के साथ निशाना बनाया गया है।
:इनमें से कुछ कमजोर स्कोर वाले देशों में एक संबंधित प्रवृत्ति भ्रष्टाचार-विरोधी संस्थानों का कमजोर होना या, कुछ मामलों में, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के समन्वय के लिए एक एजेंसी की अनुपस्थिति का होना है।
:इस साल के स्कोर से पता चलता है कि जब सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार से लड़ने की बात आती है तो दुनिया के सभी क्षेत्र ठप हैं।
:एशिया प्रशांत के कुछ हिस्सों में,अमेरिका,पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में, जवाबदेही उपायों और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रतिबंध,भ्रष्टाचार को अनियंत्रित होने देते हैं। यहां तक कि ऐतिहासिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाले देश भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।
:भ्रस्टाचार अवधारणा सूचकांक फ्रीडम हाउस और विश्व बैंक जैसे स्रोतों पर निर्भर करता है,और विशेषज्ञों और व्यवसायियों द्वारा प्रश्नावली के पर दिए गए जवाब के आधार पर सर्वेक्षण करता है।