सन्दर्भ:
: अंतरिक्ष विभाग ने घोषणा की है कि श्रीहरिकोटा में भारत का तीसरा लॉन्च पैड (India’s 3rd Launch Pad) मार्च 2029 तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा।
भारत का तीसरा लॉन्च पैड के बारें में:
: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) में एक नया तीसरा प्रक्षेपण स्थल (TLP) स्थापित किया जाएगा।
: इसे अगली पीढ़ी के रॉकेटों के लिए और भारी-भरकम एवं मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए भारत की प्रक्षेपण क्षमता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया।
: इसके उद्देश्य:-
- NGLV संचालन में सहायता- 91 मीटर ऊँचे अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान के लिए बुनियादी ढाँचा प्रदान करना।
- LVM3 के लिए बैकअप- एकल-पैड विफलता की स्थिति में प्रक्षेपण में व्यवधान को रोकना।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान को सक्षम बनाना- गगनयान और भविष्य के अंतरिक्ष यात्री मिशनों के लिए महत्वपूर्ण।
- गहन अंतरिक्ष लक्ष्यों में सहायता- चंद्र लैंडिंग, अंतरिक्ष स्टेशन संयोजन और अंतरग्रहीय मिशनों को सुगम बनाना।
: इसकी मुख्य विशेषताएँ:-
- पूर्णता समय सीमा- मई 2028 तक सिविल कार्य, जुलाई 2028 तक द्रव और प्रणोदक प्रणालियाँ, सितंबर 2028 तक प्रक्षेपण प्रणालियाँ और मार्च 2029 में कमीशनिंग।
- उन्नत प्रणालियाँ- उच्च प्रणोद वाले क्रायोजेनिक और अर्ध-क्रायोजेनिक ईंधन के लिए डिज़ाइन की गई।
- मेक इन इंडिया अभियान- बुनियादी ढाँचे के विकास में निजी खिलाड़ियों और MSME की भागीदारी।
- बढ़ी हुई ऊँचाई और क्षमता- उच्च प्रणोद और नई जेट विक्षेपण प्रणालियों के साथ NGLV, LVM3 की ऊँचाई से दोगुना।
- विभिन्न कार्य पैकेज- दक्षता के लिए मॉड्यूलर निर्माण दृष्टिकोण।
: इसका महत्व:-
- रणनीतिक अतिरेक- एकल-पैड निर्भरता से मिशन में देरी के जोखिम को समाप्त करता है।
- भविष्य-सुरक्षित अवसंरचना- अगली पीढ़ी के रॉकेट, उन्नत ईंधन और उच्च पेलोड क्षमताओं के लिए निर्मित।
- अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा- वाणिज्यिक प्रक्षेपणों, मेक इन इंडिया और निजी क्षेत्र की भागीदारी को समर्थन।

