सन्दर्भ:
: ICMR-INDIAB के एक नए राष्ट्रीय अध्ययन (2025) से पता चला है कि भारतीय आहार (Indian Diet) में निम्न गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट, उच्च संतृप्त वसा और अपर्याप्त प्रोटीन का प्रभुत्व है, जो गैर-संचारी रोगों (NCD) में वृद्धि का कारण है।
भारतीय आहार के बारे में:
: भारतीय आहार की संरचना- औसत भारतीय अपनी दैनिक कैलोरी का 65-75% कार्बोहाइड्रेट से, 9-11% प्रोटीन से और 14-23% वसा से प्राप्त करता है, जिससे यह विश्व स्तर पर सबसे अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त आहारों में से एक बन जाता है।
: उभरते रुझान:-
- पारंपरिक, संतुलित आहार से प्रसंस्कृत, कैलोरी-सघन खाद्य पदार्थों की ओर बदलाव भारत के तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और आय वृद्धि को दर्शाता है।
- चावल और गेहूँ का मोटापे और मधुमेह के जोखिम पर समान चयापचय प्रभाव पड़ता है।
- कार्बोहाइड्रेट में 5% की कमी और उसकी जगह प्रोटीन लेने से चयापचय संबंधी बीमारियों का जोखिम काफ़ी कम हो सकता है।
: स्वास्थ्य पर प्रभाव:-
- भारत दोहरी समस्या का सामना कर रहा है – एक ओर कुपोषण और दूसरी ओर अति-पोषण से प्रेरित गैर-संचारी रोग।
- गैर-संचारी रोगों का प्रसार: टाइप 2 मधुमेह (11.4%), प्री-डायबिटीज़ (15.3%), मोटापा (28.6%), पेट का मोटापा (39.5%)।
- सभी मौतों में से 68% (प्रति वर्ष 6.3 मिलियन) गैर-संचारी रोगों के कारण होती हैं।
- 2060 तक अनुमानित आर्थिक नुकसान: $839 बिलियन (भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2.5%)।