सन्दर्भ:
: भारत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मालिकों को उपयोग में लाई जा रही बैटरियों के बारे में विस्तृत डिजिटल जानकारी देने के लिए बैटरी पासपोर्ट प्रणाली (Battery Passport System) शुरू करने जा रहा है।
बैटरी पासपोर्ट प्रणाली के बारें में:
: यह इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मालिकों को उपयोग में आने वाली बैटरियों के बारे में विस्तृत डिजिटल जानकारी प्रदान करने वाली एक प्रणाली है।
: यह प्रणाली प्रत्येक बैटरी के विनिर्देशों को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करेगी – जिसमें उसका स्रोत, संरचना, प्रदर्शन, जीवनचक्र और आपूर्ति श्रृंखला शामिल है – और इस डेटा को एक क्यूआर कोड में एम्बेड करेगी।
: बैटरी पासपोर्ट एक प्रकार की आधार पहचान के रूप में कार्य करता है, जिसमें प्रत्येक बैटरी की एक विशिष्ट आईडी होती है जो उत्पाद के बारे में सभी जानकारी प्रदान करती है।
: इस पहल से सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों में सुधार होने के साथ-साथ भारत की ईवी निर्यात क्षमता को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
: यह प्रणाली आगामी बैटरी-स्वैपिंग नीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे उपयोगकर्ता बैटरी पर छपे क्यूआर कोड को स्कैन करके बैटरी का विवरण प्राप्त कर सकेंगे।
: बैटरी पासपोर्ट प्रणाली लागू होने के बाद, यह सुनिश्चित करना संभव होगा कि किसी भी बैटरी में सेल उसी वर्ष निर्मित हों।
: इसके माध्यम से, उपयोगकर्ताओं को बैटरियों के जीवनचक्र और प्रदर्शन के बारे में जानकारी मिलेगी, जो इस बात को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है कि EV की लागत में लगभग 40% हिस्सा बैटरियों का होता है।