सन्दर्भ:
: पिछले एक दशक में भारत की शैक्षणिक स्वतंत्रता में काफी गिरावट आई है, विश्वविद्यालयों में छात्र विरोध प्रदर्शनों पर राजनीतिक प्रभाव और प्रतिबंधों को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, इस प्रवृत्ति को “फ्री टू थिंक 2024” रिपोर्ट में उजागर किया गया है, जो वैश्विक शैक्षणिक स्वतंत्रता की जांच करती है।
“फ्री टू थिंक 2024” रिपोर्ट और निष्कर्ष के बारे में:
: प्रकाशित- स्कॉलर्स एट रिस्क (SRA) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना, जो दुनिया भर में 665 विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क है।
: भारत की रैंक- 2013 से 2023 तक अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक पर 0.6 अंक से 0.2 अंक तक गिर गई, अब इसे “पूरी तरह से प्रतिबंधित” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो 1940 के दशक के मध्य के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है।
: मुख्य निष्कर्ष-
- रिपोर्ट में जुलाई 2023 से जून 2024 के बीच 51 देशों में उच्च शिक्षा पर हुए 391 हमलों को शामिल किया गया है।
- भारत के विश्वविद्यालयों को प्रभावित करने वाले राजनीतिक नियंत्रण और हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे पर प्रकाश डाला गया है।
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) जैसे संस्थानों में छात्र विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
: रिपोर्ट में उच्च शिक्षा पर नियंत्रण को लेकर भारतीय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बढ़ते तनाव का संकेत दिया गया है, जिसका असर केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों के संस्थानों पर पड़ रहा है।