सन्दर्भ:
: हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने मासिक रेडियो कार्यक्रम में पैठनी साड़ी (Paithani Saree) की पारंपरिक शिल्पकला की प्रशंसा की।
पैठनी साड़ी के बारें में:
: इसे ‘महाराष्ट्र राज्य का महावस्त्र’ कहा जाता है।
: यह शुद्ध रेशम और सोने की ज़री से बुने अपने समृद्ध, जीवंत रंगों के लिए जाना जाता है।
: पैठनी का जन्मस्थान गोदावरी नदी के तट पर स्थित मध्ययुगीन शहर पैठन है।
: पैठनी साड़ियों की विशेषताएँ:-
- पारंपरिक पैठनी साड़ी शुद्ध रेशम से हाथ से बनाई जाती है और पारंपरिक रंगों में रंगी जाती है।
- इसके काठ (किनारे) और पादर (पल्लू या अंतिम भाग) में विशिष्ट आकृतियाँ होती हैं जो इसे विशिष्ट बनाती हैं।
- पैठनी में प्रयुक्त पारंपरिक आकृतियाँ तोते, कमल और मोर हैं।
- छह या नौ गज की यह साड़ी सदियों से महाराष्ट्रीयन दुल्हनों द्वारा पसंद की जाती रही है।
- इसे 2010 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग से सम्मानित किया गया था।
- पैठनी आसानी से पहचानी जा सकती हैं और भारत की सबसे उत्तम और महंगी साड़ियों में से एक मानी जाती हैं।
- ये साड़ियाँ देश में उपलब्ध बेहतरीन रेशम का उपयोग करके बनाई जाती हैं और इन्हें महाराष्ट्रीयन विरासत और कुशल शिल्प कौशल का प्रतीक माना जाता है।