सन्दर्भ:
: केंद्र सरकार ने हाल ही में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में संशोधन किया है, जिसके तहत इसके द्वारा शासित स्कूलों में बच्चों को फेल न करने की नीति (नो-डिटेंशन पॉलिसी) को समाप्त कर दिया गया है।
हटाने के कारण:
- सीखने के परिणामों में गिरावट: कथित तौर पर छात्रों में पदोन्नति के आश्वासन के कारण पढ़ाई के प्रति गंभीरता की कमी थी।
- जवाबदेही: स्कूल सीखने पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहे, जैसा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जोर दिया।
- राज्यों की प्रतिक्रिया: कई राज्यों ने प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता और जवाबदेही में सुधार के लिए नीति हटाने की मांग की।
- राष्ट्रीय संरेखण: समग्र शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों से जुड़ा हुआ है।
- ज्ञात हो कि इसमें केन्द्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय तथा रक्षा एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन अन्य संस्थान शामिल हैं।
नो-डिटेंशन पॉलिसीके बारें में:
: शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 16 के तहत कक्षा 8 तक छात्रों को रोकने पर रोक लगाने के लिए इसे पेश किया गया है।
: इसका उद्देश्य स्वचालित पदोन्नति को बढ़ावा देकर सभी बच्चों के लिए न्यूनतम शिक्षा स्तर सुनिश्चित करना है।
आरटीई अधिनियम, 2009 में मुख्य धारा:
- धारा 16: प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1-8) पूरी होने तक किसी भी बच्चे को किसी भी कक्षा में नहीं रोका जाएगा।
- 2019 में संशोधित: राज्यों को शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर कक्षा 5 और 8 में छात्रों को रोकने की अनुमति दी गई।
: वर्तमान में, 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नो-डिटेंशन नीति को जारी रख रहे हैं।