सन्दर्भ:
: विधि आयोग ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से निकाह हलाला और मुता, विवाह के विवादास्पद रूपों, साथ ही शादी के लिए न्यूनतम आयु पर इस्लामी कानून के रुख पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।
इसके पीछे कारण है:
: यह जांच मुस्लिम महिलाओं द्वारा विवाह के इन रूपों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के कारण उठी है।
निकाह हलाला से जुड़े प्रमुख तथ्य:
: निकाह हलाला में एक महिला अपने मूल पति से दोबारा शादी करने से पहले किसी अन्य पुरुष से शादी करती है और उसे तलाक दे देती है, जबकि मुता अल्पकालिक सहमति से विवाह को संदर्भित करता है।
: AIMPLB ने निकाह हलाला की प्रचलित प्रथा पर विरोध व्यक्त किया और मुता को एक अप्रासंगिक मुद्दा माना।
: प्रतिनिधिमंडल ने न्यूनतम विवाह आयु का भी बचाव किया, जिसमें कहा गया कि इस्लाम तब विवाह की अनुमति देता है जब व्यक्ति वयस्क हो जाता है और वैवाहिक जिम्मेदारियों को पूरा कर सकता है।
: AIMPLB ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) का दृढ़ता से विरोध किया और जोर देकर कहा कि शरिया कानून के मौलिक सिद्धांतों में किसी भी बदलाव पर समझौता नहीं किया जा सकता है।