चर्चा में क्यों है-:नागालैंड में हर साल 1 से 10 दिसंबर तक हॉर्नबिल महोत्सव मनाया जाता है,जिसका आयोजन राज्य सरकार द्वारा नागा हेरिटेज गांव में किया जाता है।इस महोत्सव का नाम भारतीय पक्षी ग्रेट हॉर्नबिल के नाम पर रखा गया है।
उद्देश्य है-इस आयोजन का उद्देश्य नागालैंड की स्थानीय परंपराओँ और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने के साथ-साथ उसे पुनर्जीवित करना,बढ़ावा देना तथा बनाए रखना है।
प्रमुख तथ्य-:इस महोत्सव में राज्य की सभी जनजातियां अपनी सांस्कृतिक,पारम्परिक कलाओं जैसे पेंटिंग,लकड़ी की नक्काशी और मूर्तियों आदि का प्रदर्शन करती है।
:इसे पहली बार 2000 में मनाया गया तब से लेकर आज तक यह राज्य का नियमित महोत्सव बन चूका है।
:इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण होते हैं नागा संस्कृति के पारंपरिक आभूषण जैसे हाथी दांत बाजूबंद इत्यादि,जिनकी प्रदर्शनी खरीदने के लिए भी लगायी जाती है।धार्मिक और औपचारिक परेड भी होता है।
मुख्य कार्यक्रम- इस महोत्सव में द हॉर्नबिल रॉक फेस्टिवल,द कोहिमा नाईट बाजार,रविवार नॉर्थ ईस्ट कल्चरल एन्सेम्बल,विश्व युद्ध पर शांति रैली और हॉर्नबिल पर एडवेंचर रैली का प्रदर्शन किया जाता है। इसके अतिरिक्त पारंपरिक खेल और जनजातीय व्यंजनों का प्रदर्शन भी किया जाता है।
हार्नबिल-:यह पक्षियों की एक जंगली प्रजाति है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका और एशिया में पाए जाते है,जो विभिन्न रंग के होते है।
:ग्रेट हॉर्नबिल का जैविक नाम बुसेरोटिडे है जिसे लैटिन शब्द बुसेरोस बाइकोर्निस से लिया गया है,जिसका अर्थ है दो सिंग वाला।
:यह सामान्य तौर पर काले या धूसर रंग के बड़े सिर,पतली गर्दन,चौड़े पंख,और लंबी पूंछ वाले होते हैं। इसे भारतीय धूसर धनेश भी कहा जाता है।
:वर्तमान में यह प्रजाति आईयूसीएन की रेड डाटा सूची में सुभेद्य (वल्नरेबल) रूप में वर्गीकृत किया गया है।
:ग्रेट हॉर्नबिल भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी है।
:भारत में हॉर्नबिल की नौ प्रजातियां है जिनमे से चार पश्चिमी घाट में पायी जाती है,और ग्रेट हार्नबिल व्यापक रूप से केरल और अरुणाचल में पाए जाते है।