सन्दर्भ:
: हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को एक अत्यंत बारीकी से तैयार की गई डोकरा कलाकृति (Dokra Artwork) भेंट की।
डोकरा कलाकृति के बारे में:
: डोकरा कला जिसे बेल मेटल शिल्प के रूप में भी जाना जाता है, इसकी उत्पत्ति 4,000 साल से भी ज़्यादा पुरानी है।
: यह ढोकरा दामर जनजातियों द्वारा प्रचलित लोक कला का एक रूप है, जो पारंपरिक रूप से धातु शिल्पी हैं।
: ये कारीगर मुख्य रूप से पूर्वी भारत में पाए जाते हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड शामिल हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ में भी इनकी उल्लेखनीय उपस्थिति है।
: डोकरा कलाकृति की विशेषताएँ-
- कोई भी दो कलाकृतियाँ कभी एक जैसी नहीं होतीं।
- प्रत्येक मूर्ति को पौराणिक कथाओं, प्रकृति और दैनिक अनुष्ठानों से प्रेरणा लेते हुए, बड़ी मेहनत से हाथ से बनाया गया है।
: डोकरा कलाकृति की प्रक्रिया-
- डोकरा बनाने की विधि धातुकर्म कौशल को खोई हुई मोम तकनीक के साथ मिलाकर की जाती है।
- कारीगर वांछित वस्तु का एक बुनियादी मिट्टी का मॉडल बनाकर शुरू करते हैं।
- इसके बाद इस मॉडल को मोम में लेपित किया जाता है, जहाँ बारीक विवरणों को सावधानीपूर्वक उकेरा जाता है।
- एक और मिट्टी की परत को एक साँचा बनाने के लिए जोड़ा जाता है, जिसमें पिघली हुई धातु – आमतौर पर पीतल या तांबा – डाली जाती है।
- गर्मी मोम को पिघला देती है, जिससे तरल धातु मूल मॉडल का आकार ले लेती है।
- ठंडा होने और सख्त होने के बाद, बाहरी मिट्टी के साँचे को तोड़ दिया जाता है, जिससे तैयार मूर्ति सामने आती है।