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1-सिंधु नदी डॉल्फिन की जनगणना कराएगा पंजाब

सिंधु डॉल्फिन

चर्चा क्यों है –पंजाब राज्य वर्ल्ड वाइड फण्ड के साथ मिलकर दुनिया के सबसे संकटग्रस्त सीतासियों में से एक सिंधु नदी डॉलफिन की जनगणना कराएगा
प्रमुख तथ्य-:सिंधु नदी डॉलफिन को वैज्ञानिक रूप से प्लैटानिस्टा गैंगेटिका माइनर कहा जाता है।
:यह ताजे/मीठे पानी कि डॉलफिन है जो व्यास नदी में पायी जातीं है।
:केंद्र सरकार के एक प्रोजेक्ट के तहत सर्दियों में जनगणना शुरू होगी,हालाँकि, पंजाब का वन्यजीव संरक्षण विंग एक कदम आगे बढ़ कर न केवल डॉल्फ़िन को बल्कि उनके प्राकृतिक आवास की भी रक्षा करेगा।
:परियोजन को पांच सालों में पूरा किया जायेगा
:इसके तहत,एक स्थापित और अनुमोदित पद्धति के माध्यम से प्रजातियों के स्थानिक और अस्थायी वितरण पैटर्न और जनसंख्या की स्थिति पर सटीक डेटा एकत्र करने पर जोर दिया जाएगा।
:यह डॉलफिन भारत और पाकिस्तान के बीच 185 किमी के क्षेत्र में पायी जाती है।
:IUCN स्टेटस- इसकी रेड सूची में शामिल है संकटग्रस्त की कैटागोरी में वर्गीकृत है।
:जलीय जीव के रूप में -पंजाब सरकार ने इसे 2019 में राज्य के जलीय जीव मान्यता दी है।
:कहा पायी जाती है-ये डॉलफिन तथ हरिके पत्तन (हरिके वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी ) के बीच भारत के व्यास नदी में पायी जाती है।
:बहुत समय पहले ये व्यास नदी में भी पायी जाती थी परन्तु प्रदुषण के कारण अब विलुप्त हो चुकी है

2-दिल्ली वाराणसी के बीच जल्द चलेगी बुलेट ट्रैन

चर्चा क्यों है-दिल्ली वाराणसी हाई स्पीड रेल डीवीएचएसएस परियोजना तैयार होने के बाद दोनों शहरों के बीच की यात्रा 11-12 घंटे से घटकर मात्र 4 घंटे हो जाएगी।

परियोजना आखिर क्या है- हाई स्पीड रेल बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट 865 किलोमीटर की प्रस्तावित हाई स्पीड रेल जिसे आमतौर पर बुलेट ट्रेन के रूप में जाना जाता है।

किन रास्तों से होकर गुजरेगी-यह ट्रैन दिल्ली से वाराणसी के बीच 12 स्टेशनो,अयोध्या,मथुरा,आगरा,इटावा,कन्नौज,नोएडा,इटावा,लखनऊ,प्रयागराज,रायबरेली और भदोही से होकर चलेगी,जिसमे यात्रा का कुल समय 4 घंटे का होगा तथा लखनऊ की यात्रा 1 घंटे 38 मिनट में पूरी की जायेगी।
इस ट्रेन को शुरू करने का मकसद क्या है-राष्ट्रीय राजधानी उत्तर प्रदेश को कई धार्मिक शहरों से जोड़ने के अलावा इस परियोजना से प्रस्तावित रेल मार्ग पर रियल स्टेट क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है साथ ही अयोध्या के लिए 690 किलोमीटरकी दूरी कि यात्रा करते समय उन्हें यात्रा में 10 घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है।
ट्रेन की खासियत क्या है-ट्रैन की अधिकतम स्पीड 350 किमी/घण्टा और संचालन की स्पीड 300 किलोमीटर प्रति घंटे होगी 750 यात्री क्षमता के साथ ट्रैन किया तत्काल भूकंप का पता लगा सकेगी,इसमें अलार्म के साथ ऑटोमेटिक ब्रेक सिस्टम है।
चुनौतियां-:बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले सबसे बड़ी परेशानी भूमि अधिग्रहण की है इस प्रोजेक्ट में ट्रैक के लिए बहुत ज्यादा जमीन की जरूरत पड़ती है रेलवे को :रूट तैयार करने के जमीन न मिलने जैसी दिक्कतें आती हैं।
:बढ़ते रेल हादसे के बाद सुरक्षा बड़ा सवाल को लेकर बड़ा सवाल है,भारत के कई राज्यों में काफी रेल हादसे हुए हैं।
:हलाकि जापान का मानना है कि बुलेट ट्रैन से हादसे नहीं होते है परन्तु क्या भारत में भी जापान जैसी सेफ्टी और सुरक्षा मिल पायेगी।
:सरकार का दावा है कि उसमें आम आदमी भी सफर कर सकता है,एक उम्मीद है कि दिल्ली से अयोध्या तक का किराया भी 3000-3500 तक का होगा।

3-अंटार्कटिका के ग्लेशियर का नया नाम ग्लासगो रखा गया

चर्चा में क्यों है- हाल ही में अंटार्कटिका के एक ग्लेशियर को औपचारिक रूप से ग्लासगो ग्लेशियर नाम दिया गया है।
प्रमुख तथ्य-:यह फैसला संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले स्कॉटिश शहर ग्लास्गो के सम्मान में किया गया है।
:नए नाम भविष्य के नक्शे चार्ट और प्रकाशनों में उपयोग किए जाएंगे।
:ग्लास्गो के अलावा आठ अन्य ग्लेशियरों के नाम भी रखे गए हैं शहर है ये सभी वे शहर है यहां संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण जलवायु शिखर वार्ताए आयोजित की जा चुकी हैं,इनमें शामिल ग्लेशियर जिनेवा,बर्लिन,स्टॉकहोम,रिओ,क्योटो,बाली,पेरिस और इंचीयोन।
:पहली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता 1995 बर्लिन,जर्मनी में आयोजित की गयी थी।
:2015 में आयोजित COP-21 बैठक में देशों ने पेरिस समझौते को मंजूरी दी थी।

4-G-20 सम्मलेन में अपनाया गया रोम घोषणा को

G-20 सम्मलेन 2021,रोम

क्यों है चर्चा में-: 30-31अक्टूबर के बीच को रोम में संपन्न् हुवे G-20 के 16वे शिखर सम्मलेन में रोम घोषणा को अपनाया गया।
प्रमुख तथ्य-:इस सम्मलेन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया तथा इसे सफल करार दिया।

:G-20 नेताओ ने सहमति जताई कि WHO को कोरोना टीकों को आपात उपयोग की मंजूरी के लिए मजबूत किया जायेगा।
:नेताओ ने आर्थिक विकास सहयोग और नवाचार को और आगे ले जाने पर सहमति जताई साथ ही स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को ठीक करने पर भी एकमत हुए।
:भारतीय टीको को WHO से अति शीघ्र मंजूरी की मांग की भारत ने,सदस्य देशो ने भी इस बात पर सहमति जताई कि कोविड टीकाकरण एक वैश्विक हितलाभ है।
:G -20 में भारत के शेरपा रहे केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि सम्मलेन में चर्चा के मुख्य केंद्र रहे जलवायु और ऊर्जा,सतत विकास।
:प्रधानमत्री ने बताया कि भारत का लक्ष्य अगले वर्ष तक 500 करोड़ वैक्सीन बनाने का है।
:भारत के साथ अन्य विकासशील देशो ने अपने हितों को सुरक्षित रखने का आह्वान किया।
क्या होता है शेरपा -इस सम्मलेन के लिए श्री पियूष गोयल शेरपा बनए गए थे,शेरपा G-20 सदस्य देशों के नेताओ का प्रतिनिधि होता है जो सम्मलेन के एजेंडे के बीच समन्वय बनता है।
क्या है रोम घोषणा-:G-20 सम्मलेन में रोम घोषणा के अनुमोदन के साथ संपन्न हो गया जिसका उद्देश्य है स्वास्थ्य समस्याओ के संकट का निदान,सतत विकास,जलवायु :परिवर्तन की रोकथाम,रोजगार,शिक्षा,पर्यटनऔर कोविड महामारी से उबरना।
:वैश्विक रणनीति को मजबूत करके अनुसंधान और विकास को बढ़ाना।
:बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बढ़ाना।
:स्वास्थ्य सम्बन्धी SDG को हासिल करने के प्रतिबद्ध विशेष रूप से यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को।
:समाज में सभी के लिए स्वास्थ्य नीतियो को बढ़ावा देना।
:कोविड19 सड़े परे स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता को सुनिश्चित करने के महत्त्व पर जोर।

:कमजोर देशो को समर्थन देना।
:डिजिटल अर्थव्यवस्था,उच्च शिक्षा और अनुसंधान परविकास के लिए जोर।
:उत्पादकता को बढ़ाना।
:विकास के लिए डाटा के मुक्त प्रवाह पर जोर।
:पर्यटन के क्षेत्र में समवेशी और सतत रिकवरी।
:वैश्विक स्वास्थ्य और देखभाल कार्यबल का निर्माण।
:बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक और पैरालिंपिक 2022 के लिए तैयारी।

5-डेयरी सहकार योजना को लांच किया गया

चर्चा क्यों-31 अक्टूबर को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के आणंद में अमूल के 75 वे स्थापना दिवस के अवसर पर आरम्भ किया
उद्देश्य है-“सहयोग से समृद्धि की और”किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के साथ साथ उनकी आय को दोगुना करना।
क्यों जरुरी है- कृषि और पशुपालन को सशक्त बनाने हेतु इस सहकारी मॉडल को लागू करने की जरुरत है,क्यों की डेरी भी भारत के सबसे बड़े कृषि व्यवसायों में से एक है तथा अर्थव्यवस्था के लिए अति महत्वपूर्ण भी।
इस योजना के बारे में–यह योजना सहकारिता मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम(NCDC) द्वारा 5000 करोड़ के कुल निवेश के साथ शुरू की गयी है,इस योजना के तहत NCDC पात्र सहकारी समितियों को उनकी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगा जैसे दूध खरीद,मूल्यवर्द्धन,ब्रांडिंग,पैकेजिंग,विपणन,गोजातीय विकास,गुणवत्ता आश्वासन,दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का परिवहन और भण्डारण,डेयरी उत्पादों का निर्यात इत्यादि।
NCDC क्या है-राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम,कि स्थापना1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय किया गया,इसका उद्देश्य किसी उत्पादन,खाद्य पदार्थो,औद्योगिक वस्तुओं,पशुधन और सहकारी सिद्धांतों पर उत्पादित कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं से जुड़े मामलों के लिए कार्क्रमों की योजना बनाना और उनका सम्वर्द्धन करना।यह सहकारी क्षेत्र के लिए शीर्ष वित्तीय तथा विकासात्मक संस्थान है। https://www.ncdc.in/
अमूल के बारे में-इसकी स्थापना 19 दिसंबर1946 में आणंद, गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल के मार्गदर्शन में त्रिभुवन दास पटेल और वर्घीज़ कुरियन के द्वारा किया गया,जिसका प्रबंधन गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड(GCMMF) द्वारा किया जाता है,इसमें गुजरात के 36 लाख दुग्ध उत्पादक और 13 जिला दुघ्ध संघो के पास इसका मालिकाना/स्वामित्व है।
भारत के श्वेत क्रांति में अमूल कि महत्वपूर्ण भूमिका रही है,और आज अमूल दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा है। और वर्घीज़ कुरियन को मिल्क मैन ऑफ़ इंडिया कहा जाता है।  https://www.amul.com/index.php 


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By gkvidya

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