सन्दर्भ-विश्व टीबी दिवस के अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग,विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा टीबीको समाप्त करने के लिए-“डेयरटूऐराडी टीबी” डेटा-संचालित अनुसंधान शुरू करने की घोषणा की गई।
प्रमुख तथ्य-यह प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2025 तक “टीबी मुक्त भारत” के सपने को साकार करने के लिए क्षय रोग से छुटकारा पाने के लिए एक जन आंदोलन के रूप में देखा जाएगा।
:जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने विभिन्न पहलों के माध्यम से टीबी विज्ञान को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है,और पिछले तीन दशकों से टीबी पर बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान में सहयोग कर रहा है।
:यह मुख्य रूप से दवा की खोज तथा वैक्सीन बनाने और रोग जीव विज्ञान पर ध्यान दे रहा है।
:डेयरटूऐराडी टीबी” डीबीटी का प्रमुख टीबी कार्यक्रम होगा जिसमें शामिल पहल होगें-
1-इंडियन ट्यूबरक्यूलोसिस जीनोमिक सर्वेलेंस कन्सोर्टियम
2-इंडियन टीबी नॉलेज हब वेबिनार सीरीज
3-टीबी के खिलाफ होस्ट डायरेक्टेड थैरेपीज
4-एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी का इलाज करने हेतु साक्ष्य आधारित विधि विकसित करना
:संघठित शरीर रचना के जीनोमिक डेटा का विश्लेषण आवश्यक है क्योकि सम्पूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग(WGS) टीबी रोग निगरानी में जरुरी आणविक उपकरण है।
:WGS प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से रोगियों में टीबी स्ट्रेन की उत्पत्ति और दवा प्रतिरोध (DR) प्रोफाइल की तेजी से पहचान हो सकेगी,और टीबी के प्रसार को रोका जा सकेगा।