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जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांकजिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक
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सन्दर्भ:

: IIT दिल्ली और IIT गांधीनगर के शोधकर्ताओं ने जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (District Flood Severity Index) विकसित किया है।

जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक के बारें में:

: यह भारत में बाढ़ की ऐतिहासिक गंभीरता को प्रभावित लोगों की संख्या, बाढ़ के प्रसार और अवधि के आधार पर दर्शाता है।
: प्रयुक्त मानदंड:-

  • यह किसी जिले में बाढ़ की सभी घटनाओं की औसत अवधि (दिनों में) को ध्यान में रखता है।
  • ऐतिहासिक रूप से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का प्रतिशत।
  • कुल मृत्यु संख्या, घायल हुए लोगों की संख्या।
  • जिले की जनसंख्या।

: इसे भारत बाढ़ सूची प्रभाव सहित (IFI-इम्पैक्ट्स) डेटाबेस का उपयोग करके विकसित किया गया है, जिसमें बाढ़ की घटनाओं और बाढ़ से होने वाले नुकसान को दर्शाने वाले चरों का डेटा शामिल है।
: भारत बाढ़ सूची प्रभाव सहित में मृत्यु और क्षति के आँकड़े शामिल हैं, और इसमें राष्ट्रीय जलविज्ञान-जलगतिकी मॉडलिंग प्रणाली से प्राप्त जनसंख्या और ऐतिहासिक रूप से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की जानकारी शामिल है।
: चूँकि जिला नियोजन और निर्णय लेने के लिए सबसे प्रासंगिक इकाई है, इसलिए बाढ़ प्रबंधन के लिए DFSI अत्यधिक मूल्यवान होगा।

जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष:

: इस सूचकांक में पटना पहले स्थान पर है, जिसके बाद गंगा के मैदान और असम के कई जिले आते हैं।
: बाढ़ की घटनाओं के मामले में तिरुवनंतपुरम पहले स्थान पर है, लेकिन बाढ़ गंभीरता सूचकांक में शीर्ष 30 जिलों में इसका नाम नहीं है।
: असम के धेमाजी, कामरूप और नागांव जिले भारत के उन पाँच जिलों में से तीन हैं जहाँ 178 से ज़्यादा बाढ़ की घटनाएँ हुई हैं, यानी औसतन प्रति वर्ष तीन से ज़्यादा बाढ़ की घटनाएँ।
: शहरी बाढ़ आंशिक रूप से जल-मौसम संबंधी कारणों और अविवेकपूर्ण शहरी विकास के कारण होती है।


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By gkvidya

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