सन्दर्भ-हाल ही में फ्रांस में स्थित वर्ल्ड इनक्वॉलिटी लैब द्वारा विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 जारी की गयी है।
रिपोर्ट का मापदंड-
2021 के लिए जारी इस रिपोर्ट में आय और लैंगिक असमानता के आधार पर देशों की स्थिति को मापा गया है।
प्रमुख तथ्य-: इस रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल है जो वर्ल्ड इनक्वॉलिटी लैब के सह निदेशक भी है।
:यूरोप में असमानता का स्तर सबसे कम है।
:मध्य एशिया और नार्थ अफ्रीका क्षेत्र दुनिया का सबसे असमान क्षेत्र है।
:दुनियाभर में वितरण के स्तर पर धन की असमानता बढ़ी है
:निजी संपत्ति में वृद्धि से देशों के भीतर और वैश्विक स्तर पर असमानता बढ़ी है।
:इसके अलावा इस दौरान वैश्विक स्तर पर लैंगिक असमानता भी काफी ज्यादा है
भारत की रिपोर्ट –
:भारत दुनिया के गरीब और सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल है।
:2021 में भारत में 1% सबसे अमीर लोगो के पास कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था,जबकि निचले तबके के पास यह सिर्फ 13% ही है।
:भारत द्वारा अपनाए गए आर्थिक सुधारों और उदारीकरण से ज्यादातर शिर्ष 1% लोग ही लाभान्वित हुए।
:ब्रिक्स देशों में दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में भारत की तुलना में व्यापक आय असमानता है।
:इसके अतिरिक्त महिला श्रमिकों की हिस्सेदारी 18% है,जो की एशिया के औसत 21% (चीन को छोड़कर) से काफी कम है।
:भारत के शीर्ष 10% आबादी का इनकम भारत की कुल इनकम का 57% है।
:भारत अभी भी गंभीर असमानता की सूचि है।
:भारत के व्यस्क आबादी के कुल औसत राष्ट्रीय आय 204200 रुपये है,परन्तु 50% के पास 53610 रुपये ही है।
:इस रिपोर्ट के अनुसार अंग्रेजो के शासन के समय भारत के 10% अमीरों के पास देश की कुल आय में 50% हिस्सेदारी थी,परन्तु अब यह हिस्सेदारी 57% हो गयी है।
:परन्तु असमानता के बढ़ने में सबसे प्रमुख कारणों में 1980 के बाद उदारीकरण के समर्थन वाली नीतियों को माना गया है।