संदर्भ:
: UNDP और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) ने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2025 (ग्लोबल MPI 2025) रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक है “अतिव्यापी कठिनाइयाँ: गरीबी और जलवायु खतरे”।
ग्लोबल MPI 2025 के बारें में:
: MPI तीव्र गरीबी का एक वैश्विक माप है जो आय गरीबी से परे कई प्रकार के अभावों—स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर—को दर्शाता है।
: प्रकाशक- UNDP मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा 2010 से संयुक्त रूप से निर्मित।
: लांच- ग्लोबल MPI को पहली बार 2010 की मानव विकास रिपोर्ट (HDR) में पेश किया गया था, जिसमें 100 से अधिक विकासशील देशों को शामिल किया गया था।
: इसका उद्देश्य:- यह आकलन करना कि कौन गरीब है, वे कैसे गरीब हैं, और गरीबी किस प्रकार अभावों के साथ ओवरलैप होती है, जिससे SDG-1 (गरीबी उन्मूलन) के अनुरूप साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का मार्गदर्शन हो सके।
: कार्यप्रणाली- यह सूचकांक 10 संकेतकों के साथ 3 आयामों पर आधारित है:-
- स्वास्थ्य:
- पोषण: 70 वर्ष से कम आयु का कोई भी व्यक्ति जिसके लिए पोषण संबंधी जानकारी उपलब्ध है, वह कुपोषित है।
- बाल मृत्यु दर: सर्वेक्षण से पहले पाँच वर्षों की अवधि में घर में 18 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे की मृत्यु हुई हो।
- शिक्षा:
- स्कूली शिक्षा के वर्ष: परिवार के किसी भी पात्र सदस्य ने छह वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की है।
- स्कूल में उपस्थिति: कोई भी स्कूली आयु का बच्चा कक्षा 8 की पढ़ाई पूरी करने की आयु तक स्कूल नहीं जा रहा है।
- जीवन स्तर: स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छता, पेयजल आदि तक पहुँच।
: ग्लोबल MPI 2025 रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:-
- वैश्विक जनसंख्या: 109 देशों के 6.3 अरब लोगों में से 1.1 अरब (18.3%) लोग तीव्र बहुआयामी गरीबी में जीवन यापन करते हैं।
- 43.6% लोग गंभीर गरीबी का सामना कर रहे हैं और MPI के आधे या उससे अधिक संकेतकों में अभाव का सामना कर रहे हैं।
- 83.2% लोग उप-सहारा अफ्रीका (565 मिलियन) और दक्षिण एशिया (390 मिलियन) में रहते हैं।
- भारत में बहुआयामी गरीबी: यह 55.1% (2005-06) से घटकर 16.4% (2019-2021) हो गई है, जिससे लगभग 414 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं।
- सामान्य अभाव: स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की कमी, अपर्याप्त आवास और खराब स्वच्छता।
- गरीबी और जलवायु खतरों का दोहरा बोझ: 80% से अधिक लोग जलवायु खतरे-प्रवण क्षेत्रों में रहते हैं।
- दक्षिण एशिया में जलवायु खतरे वाले क्षेत्रों में गरीबों की संख्या सबसे अधिक है।
- छोटे द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS): 22 SIDS में विकासशील देशों के औसत (18.3%) की तुलना में सामूहिक गरीबी दर (23.5%) अधिक है।
- बेलीज़, कोमोरोस और समोआ जैसे देशों में वैश्विक उत्सर्जन के कारण 2080-2099 तक समुद्र स्तर में 70 सेमी तक की वृद्धि एक गंभीर और बढ़ता हुआ खतरा है।
