सन्दर्भ-12 जनवरी 2022 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) में 720 सेकंड की अवधि के लिए गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रायोजेनिक इंजन की गुणवत्ता परीक्षण को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
प्रमुख तथ्य-:लंबी अवधि का यह सफल परीक्षण मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम-गगनयान के लिए एक मील का पत्थर है।
:इंजन के प्रदर्शन ने परीक्षण के उद्देश्यों को पूरा किया और इंजन के पैरामीटर परीक्षण की पूरी अवधि के दौरान किए गए भविष्यवाणियों के साथ निकटता से मेल खाते थे।
:यह परीक्षण गगनयान के मानव-रेटेड प्रक्षेपण यान में शामिल होने के लिए क्रायोजेनिक इंजन की विश्वसनीयता और मजबूती सुनिश्चित करता है।
:भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” 2023 में लॉन्च किया जाएगा, जैसा कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष ही कहा था।
:इस प्रक्षेपण के साथ,भारत संयुक्त राज्य अमेरिका,रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
:प्रमुख मिशन जैसे, क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन के सत्यापन के लिए परीक्षण वाहन उड़ान और गगनयान (G1) का पहला अनक्रूड मिशन 2022 की दूसरी छमाही की शुरुआत के दौरान निर्धारित किया गया है।
:इस इंजन का 1810 सेकंड का चार और परीक्षण किया जायेगा
:इसके बाद 2022 के अंत में दूसरा मानव रहित मिशन होगा जिसमें इसरो द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष यात्री मानव-रोबोट “व्योममित्र” और अंत में 2023 में पहला क्रू गगनयान मिशन होगा।
गगयान मिशन के लिए जीएसएलवी एमके-3 लांच व्हीकल का उपयोग किया जायेगा।
:क्रायोजेनिक ईंधन कि क्षमता बहुत अधिक होता है इसलिए इसका उपयोग बड़े राकेट और अंतरिक्ष यान में किया जाता है।
:क्रायोजेनिक इंजन भी बहुत जटिल होते है इन्हे विकसित करने में काफी मेहनत लगती है और अभी तक यह तकनीक विश्व के कुछ ही देशों के पास है।
:ज्ञात हो कि प्रधान मंत्री ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में कहा था कि एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री,चाहे वह पुरुष हो या महिला, 2022 तक ‘गगनयान’ पर अंतरिक्ष यात्रा के लिए जाएगा।
:गगनयान कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है एक भारतीय प्रक्षेपण यान पर मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता को प्रदर्शित करना है।