सन्दर्भ:
: एक हालिया अध्ययन (IIT इंदौर, ICIMOD, अमेरिकी विश्वविद्यालयों) ने गंगोत्री ग्लेशियर प्रणाली (GGS) के जल विज्ञान संबंधी निर्वहन का पुनर्निर्माण किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण पिघले पानी के रुझान में बदलाव दिखाया गया।
गंगोत्री ग्लेशियर का पतन के बारे में:
: गंगोत्री ग्लेशियर सिस्टम (GGS) गंगा की प्रमुख सहायक भागीरथी नदी का एक प्रमुख स्रोत है।
: इसमें गंगोत्री, चतुरंगी, रक्तवरण और मेरु ग्लेशियर शामिल हैं; ~549 वर्ग किमी क्षेत्र, ~48% हिमानीकृत।
: रुझान:-
- औसत वार्षिक निस्सरण (1980–2020): 28 ±1.9 घन मीटर/सेकंड।
- योगदान स्रोत: हिम-पिघलना (64%), हिमनद पिघलना (21%), वर्षा-अपवाह (11%), आधार प्रवाह (4%)।
- अधिकतम निस्सरण परिवर्तन: अगस्त (1990 से पूर्व) से जुलाई (1990 के बाद) तक, सर्दियों में बर्फ कम होने और गर्मियों में जल्दी पिघलने के कारण।
- हिम आवरण में कमी: बढ़ते तापमान के बावजूद हिम-पिघलना कम हुआ।
- वर्षा-अपवाह और आधार प्रवाह में वृद्धि, जो तापमान वृद्धि से प्रेरित जलविज्ञानीय परिवर्तनों को दर्शाता है।
: निहितार्थ:-
- जल्दी चरम निर्वहन- देर से गर्मियों/शरद ऋतु में निचले इलाकों के समुदायों के लिए जल संकट का खतरा।
- जुलाई में तीव्र मानसूनी बारिश के साथ बाढ़ की अधिक आशंका।