सन्दर्भ:
: हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने सभी लोगों को, विशेषकर त्रिपुरा के लोगों को, खर्ची पूजा (Kharchi Puja) के अवसर पर शुभकामनाएं दीं।
खर्ची पूजा के बारे में:
: यह त्रिपुरा के मुख्य त्योहारों में से एक है।
: यह जुलाई-अगस्त के महीनों में अमावस्या के आठवें दिन मनाया जाता है।
: खर्ची का अर्थ दो त्रिपुरी शब्दों में विभाजित करके समझा जा सकता है “खर” या खरता जिसका अर्थ है पाप और “ची” या सी जिसका अर्थ है सफाई। इसलिए यह हमारे पापों की सफाई का प्रतीक है।
: यह ‘आषाढ़’ के महीने में ‘शुक्ल अष्टमी’ के दिन होता है।
: चौदह देवताओं की पूजा शाही पुजारी ‘चंताई’ द्वारा की जाती है।
: यह सात दिनों तक चलता है और यह पुराने अगरतला में चौदह देवताओं के मंदिर में होता है जिसे ‘चतुर्दश देवता’ मंदिर परिसर के रूप में जाना जाता है।
: खर्ची पूजा देवताओं का पूरा शरीर नहीं होता है, उनके केवल सिर होते हैं जिनकी पूजा की जाती है।
: पूजा के दिन, चौदह देवताओं को मंदिर से चंताई सदस्यों द्वारा सैद्रा नदी में ले जाया जाता है और पवित्र नदी के पानी से स्नान कराया जाता है, फिर वापस मंदिर में ले जाया जाता है।
: इस त्यौहार के रीति-रिवाज पूरी तरह से प्रामाणिक त्रिपुरी परंपराओं से जुड़े हुए हैं।