सन्दर्भ:
: कोणार्क-बालूखंड अभयारण्य (Konark-Balukhand Sanctuary) की शान रहे चित्तीदार हिरणों की संख्या तेजी से घटती जा रही है।
कोणार्क-बालुखंड अभयारण्य के बारें में:
: यह ओडिशा के पुरी जिले में स्थित है।
: इसे 23 अप्रैल 1984 को अभयारण्य घोषित किया गया था।
: इसे पुरी और कोणार्क के बीच तट के किनारे, कैसुरीना और काजू के वृक्षों से आच्छादित रेतीले क्षेत्र में स्थापित किया गया था।
: नदियाँ– यह नुआनाई नदी, कुशभद्रा नदी, कडुआ नदी और प्राची नदी जैसी छोटी नदियों से होकर बहती है।
: वनस्पति- जामुन, फ़िकस, नीम, करंज और पोलंग के पेड़ भी पाए जाते हैं, जो मुख्यतः कुशभद्रा और नुआनाई नदियों के किनारे पाए जाते हैं।
: जीव-जंतु– यह शाकाहारी जानवरों (चित्तीदार हिरण), बंदर, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा, मॉनिटर छिपकली, साँप आदि के झुंडों का घर है।
: ओलिव रिडले समुद्री कछुओं को समुद्र तट पर घोंसला बनाते देखा गया है।
: चित्तीदार हिरण:-
- यह भारतीय जंगलों में सबसे आम हिरण प्रजाति है।
- इनका वितरण: यह एशिया में व्यापक रूप से वितरित है, विशेष रूप से भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान में एक छोटे समूह में।
- संरक्षण स्थिति: IUCN लाल सूची: कम चिंताजनक।
