सन्दर्भ:
: हाल ही में संसद में पेश आयकर विधेयक 2025 (Income Tax Bill 2025) में नई कर वर्ष की अवधारणा (Tax Year Concept) को परिभाषित किया गया है।
कर वर्ष की अवधारणा के बारें में:
: वर्तमान में, आयकर कानून में आकलन वर्ष का उपयोग उस वित्तीय वर्ष के बाद के वर्ष को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जिसमें आय अर्जित की जाती है।
: इससे अक्सर कर दाखिल करते समय या स्व-मूल्यांकन और अग्रिम कर जमा करते समय भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
: नए विधेयक में एक एकीकृत ‘कर वर्ष’ का प्रस्ताव है, जो केवल उसी वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल-31 मार्च) को संदर्भित करेगा, जिसमें आय अर्जित की जाती है और कर दाखिल किया जाता है।
: कर वर्ष के लाभ-
- इससे पिछले वर्ष और कर निर्धारण वर्ष के बीच की उलझन दूर होगी।
- इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढलने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि कई देश एकल कर वर्ष की अवधारणा का पालन करते हैं।
- अग्रिम कर गणना भी आसान हो जाएगी, क्योंकि करदाता पिछले वर्ष और कर निर्धारण वर्ष के बीच भटकने के बजाय केवल कर वर्ष का संदर्भ ले सकेंगे।
: इसके उदाहरण-
- आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 1 अप्रैल, 2024 से 31 मार्च, 2025 के बीच कमाता है, तो इस समय अवधि को पिछला वर्ष कहा जाएगा और 2025-26 में उक्त आय पर कर लगाया जाएगा, उस समय अवधि को कर निर्धारण वर्ष कहा जाता है।
- नए मसौदा विधेयक में, यदि कोई व्यक्ति 1 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2026 के बीच कमाता है, तो इसे केवल कर वर्ष 2025-26 के रूप में जाना जाएगा।