सन्दर्भ-डिजिटल भुगतान क्षेत्र (PCI) केंद्रीय बजट में एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) शुल्क को फिर से शुरू करने की मांग कर रहा है।
क्यों जरुरत है- क्योंकि इसकी अनुपस्थिति घरेलू भुगतान सेवा प्रदाताओं को कमजोर बना रही है,जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां उन शुल्कों को लगाने से लाभान्वित हो रही हैं। और ऐसा अनुमान है कि जीरो एमडीआर के कारण उद्योगों को लगभग 5500 करोड़ का नुकशान हुआ है।
प्रमुख तथ्य-:पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) जो देश में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उद्योग निकाय है,ने सरकार को पत्र लिखकर यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन के लिए शून्य एमडीआर व्यवस्था को वापस लेने का आग्रह किया है।
:पीसीआई ने वित्त मंत्रालय को अपने अनुरोध में एमडीआर शुल्क को बहाल करने या उद्योग को 4000 करोड़ रुपये की राशि के साथ प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।
:भुगतान उद्योग को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है जिसका उपयोग वे डिजिटल भुगतान अवसंरचना का और विस्तार करने के लिए कर सकते हैं।
:शून्य एमडीआर के साथ,सरकार ने भुगतान सेवा प्रदाताओं की उनके द्वारा बनाए गए वित्तीय बुनियादी ढांचे में निवेश करने और बनाए रखने की क्षमता को छीन लिया है।
मर्चेंट डिस्काउंट रेट(MDR)-एक शुल्क है जो दुकानदार डेबिट,क्रेडिट कार्ड और डिजिटल भुगतान करने पर वसूलता है।