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एतुरूनगरम वन्यजीव अभयारण्यएतुरूनगरम वन्यजीव अभयारण्य
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सन्दर्भ:

: हाल ही में, ‘नमूना प्लॉट विश्लेषण’ के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि एतुरूनगरम वन्यजीव अभयारण्य (Eturunagaram Wildlife Sanctuary) में 2 किमी से 3 किमी लंबाई में 200 हेक्टेयर गहरे वन क्षेत्र में लगभग 50,000 पेड़ उखड़ गए।

एतुरूनगरम वन्यजीव अभयारण्य के बारे में:

: इसे 1953 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
: यह अभयारण्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा के पास स्थित है।
: बारहमासी नदी दयाम वागु इस अभयारण्य से होकर बहती है।
: यह वागु वन्यजीव अभयारण्य को दो भागों में विभाजित करती है।
: यह अभयारण्य सम्मक्का सरक्का जात्रा के लिए भी प्रसिद्ध है, जो एशिया के सबसे बड़े आदिवासी जात्रा में से एक है, जो हर दो साल में यहाँ आयोजित होता है।
: गोदावरी नदी भी अभयारण्य से होकर गुजरती है।
: यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती प्रकार की वनस्पतियों में आता है।
: वनस्पतियां- अभयारण्य सागौन, बांस और मधुका और टर्मिनलिया जैसे अन्य पेड़ों की वृद्धि में समृद्ध है।
: पर्वतारोही अद्वितीय विशेषताएँ हैं जो इस अभयारण्य की लंबाई और चौड़ाई में प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं।
: जीव-जंतु- यह अभयारण्य भारतीय गौर और विशाल गिलहरी जैसी प्रमुख प्रजातियों का घर है।
: यह बाघ, तेंदुए, सियार, भालू, तेंदुआ, भेड़िया, जंगली कुत्ते, चौसिंघा, सांभर आदि के लिए आवास स्थल प्रदान करता है।


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By gkvidya

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