Fri. Oct 18th, 2024
एक्स-बैंड रडारएक्स-बैंड रडार
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सन्दर्भ:

: केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मौसम की स्थिति की निगरानी और पूर्वानुमान में सुधार करने, विशेष रूप से भूस्खलन और बाढ़ से संबंधित पूर्व चेतावनी के लिए वायनाड में एक्स-बैंड रडार (X-band Radar) की स्थापना को मंजूरी दी है।

एक्स-बैंड रडार के बारें में:

: भारत में पहले एक्स-बैंड रडार 1970 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया था।
: वर्षा की बूंदों या मिट्टी की हलचल जैसे छोटे कणों पर नज़र रखने के उद्देश्य से इसकी स्थापना।
: इसकी फ्रिक्वेसी 8-12 गीगाहर्ट्ज (2-4 सेमी तरंगदैर्घ्य के अनुरूप)।
: वस्तु की गति का पता लगाने के लिए डॉप्लर रडार और रेले स्कैटरिंग जैसी तकनीक का उपयोग करता है।
: यह कम तरंगदैर्घ्य के कारण उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां उत्पन्न करता है।
: निम्न आवृत्ति बैंड की तुलना में छोटी रेंज, स्थानीयकृत अध्ययन के लिए आदर्श।
: वायनाड में इसका उपयोग- भूस्खलन की चेतावनी और उच्च अस्थायी नमूनाकरण के लिए मिट्टी की गतिविधि पर नजर रखी जाएगी।
: मौसम संबंधी उपयोग- वास्तविक समय में बादलों, बारिश के पैटर्न और तूफान के गठन को ट्रैक करता है।
: सीमाएँ- संकेत के उच्च क्षीणन के कारण छोटी रेंज।


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By gkvidya

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