सन्दर्भ:
: वैश्विक दृश्यता और पालन में निरंतरता को बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय में 23 सितंबर को प्रत्येक वर्ष आयुर्वेद दिवस (Ayurveda Day) मनाने के लिए निर्धारित किया है।
आयुर्वेद दिवस के बारें में:
: ज्ञात हो कि आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) के पवित्र अवसर पर मनाया जाता था।
: अब इस प्रथा से एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो चंद्र कैलेंडर के आधार पर परिवर्तनशील था।
: अब तक, आयुर्वेद दिवस धनतेरस के साथ मनाया जाता था, जो हिंदू मास कार्तिक (आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर) में पड़ता है।
: हालांकि, धनतेरस की तारीख हर साल बदलती रहती थी, जिसके कारण आयुर्वेद दिवस की तारिख निश्चित नहीं थी।
: 23 सितंबर की तारीख सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में सामने आयी।
: चुनी गई तारीख 23 सितंबर, शरद विषुव के साथ मेल खाती है, जब दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।
: विषुव, ब्रह्मांडीय सामंजस्य का प्रतिनिधित्व करता है, आयुर्वेद के सार को रेखांकित करता है- प्रकृति के साथ संतुलन में जीना।
: वर्ष 2016 में स्थापना के बाद से, आयुर्वेद दिवस ने वैश्विक महत्व प्राप्त कर लिया है।
: आयुर्वेद दिवस को हर साल आयुर्वेद को एक वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित और समग्र चिकित्सा प्रणाली के रूप में बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता रहा है, जो निवारक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
: इस दौरान पूरे माह स्वास्थ्य संवर्धन और रोग निवारण में आयुर्वेद के महत्व को दर्शाते हुए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
: मंत्रालय ने यह बताया है कि अगले दशक में धनतेरस की तारिख 15 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीचर व्यापक रूप से बदलती रहेगी, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजनों को करने में तार्किक चुनौतियां उत्पन्न होंगी।