Wed. Jul 2nd, 2025
शेयर करें

Chaitra Navratri-2022
आज नवरात्र सहित अन्य शुभ अवसरों

सन्दर्भ-प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज से आरम्भ हो रहे चैत्र नवरात्र सहित अन्य शुभ अवसरों पर देश के लोगो को बधाइयाँ दी है।
प्रमुख तथ्य-:वसंत ऋतु के साथ-साथ भारतीय नव वर्ष के शुभागमन के स्वागत में,समूचे देश में भिन्न-भिन्न स्वरूप में मनाए जाने वाले ये त्योहार समाज को सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के सूत्र में पिरोते हैं।
:इन उल्लासमय पर्वों के माध्यम से समाज में सौहार्द और एकता की भावना मजबूत होती है।
1-चैत्र नवरात्र: शक्ति की आराधना का व्रत नौ दिनों तक चलता है तथा नौवें दिन प्रभु श्री राम चंद्र के जन्म हुआ था अतः इस दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
2-नवरेह-कश्मीरी हिन्दुओं का नववर्ष जो 32 वर्ष बाद इस साल आज मनाया जा रहा,इस उपलक्ष्य में कश्मीरी पंडित अपनी आराध्य देवी शारिका की पूजा करते है।
3-चेती चांद –एक त्योहार है जो सिंधी हिंदुओं के लिए चंद्र (Lunar) हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है,त्योहार की तारीख चंद्र-सौर हिंदू कैलेंडर के चंद्र चक्र पर आधारित है,जो साल के पहले दिन चेत के सिंधी महीने में पड़ता है।
:इसे भगवान झूलेलाल के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे भारत एयर पाकिस्तान में मनाया जाता है।
4-साजिबू चेरोबा-साजिबू नोंगमा पांबा,जिसे मीतेई चीराओबा या साजिबू चिराओबा भी कहा जाता है,भारतीय राज्य मणिपुर में सनमहवाद के धर्म का पालन करने वाले लोगों का चंद्र (Lunar) नव वर्ष का त्योहार है।
:आम तौर पर यह मार्च के महीने में होता है परन्तु कभी-कभी अप्रैल में भी मनाया जाता है।
5-गुड़ी पड़वा-हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year) के आरंभ की खुशी में हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का पर्व मनाया जाता है,जिसे मुख्य रूप में मराठी और कोंकणी हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है परन्तु अब इसे अन्य हिन्दुओं द्वारा भी मनाया रहा है।
:ऐसी मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी,और संसार में सूर्य पहली बार उदित हुए थे,इसलिए गुड़ी पड़वा को संसार का पहला दिन भी माना जाता है।
:गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका।
6-उगादी-इसे युगादि,जिसे संवत्सरादि के नाम से भी जाना जाता है,हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल का दिन है और भारत में आंध्र प्रदेश,तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों में मनाया जाता है।
:यह इन क्षेत्रों में चैत्र के हिंदू चंद्र कैलेंडर माह के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है।
:इसके साथ ही नव संवत्सर की शुरुआत हो गई,जिसे विक्रम संवत 2079 के रूप में जाना जाता है।
:हिन्दू नव वर्ष को को नव संवत्सर भी कहा जाता है।

क्या होता है संवत्सर-

:अर्थात 12 महीने की कालविशेष अवधि, इस दिन से 60 संवत्सरों में से एक नया संवत्सर आरम्भ होता है।
:जैसे पृथ्वी के बारह मास होते है उसी प्रकार वृहस्पति गृह के 60 संवत्सर होते है इसी लिए इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है।
:वृहस्पति के राशि बदलने से इसका शुरुआत माना जाता है।
:संवत्सर को वर्ष कहते है जो हर वर्ष बदलते रहते है तथा इनका अलग-अलग नाम होता है।
:कुल 60 वर्ष होते है तो एक चक्र पूरा हो जाता है,इस तरह नव संवत 2079 का नाम “नल’ होगा।


शेयर करें

By gkvidya

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *