सन्दर्भ:
: स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर P15B वर्ग के दूसरे युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ (D67) को 18 दिसम्बर, 2022 को मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में कमीशन किया गया।
आईएनएस मोरमुगाओ से जुड़े प्रमुख तथ्य:
: आईएनएस मोरमुगाओ विश्व के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल वाहकों में से एक है।
: अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस यह युद्धपोत देश की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाएगा और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा भी करेगा।
: इसका डिज़ाइन भारतीय नौसेना के संस्थानिक संगठन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से किया और मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा इसको निर्मित किया गया।
: चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसक में से दूसरे का औपचारिक रूप से समावेशन किया गया।
: पश्चिमी तट पर ऐतिहासिक बंदरगाह शहर गोवा के नाम पर नामित, यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध स्थितियों में लड़ने के लिए सुसज्जित है।
: 75% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ, इस युद्धपोत को डिजाइन और निर्मित किया गया है।
: यह युद्धपोत हमारे देश के साथ-साथ विश्व भर में हमारे मित्र देशों की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
: युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक सच्चा उदाहरण है जो वैश्विक जहाज निर्माण हब में भारत के रूपांतरण में सहायता करने की नौसेना की प्रतिबद्धता सुदृढ़ बनाता है।
: यह युद्धपोत अपनी बहुआयामी लड़ाकू क्षमता के साथ पश्चिमी बेड़े का हिस्सा बनेगा, जो भारतीय नौसेना की सबसे शक्तिशाली शाखा है।
: आईएनएस मोरमुगाओ 7,400 टन के डिस्प्लेसमेंट के साथ लंबाई में 163 मीटर और चौड़ाई में 17 मीटर है।
: यह परिष्कृत अत्याधुनिक हथियारों और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसे सेंसर से सुसज्जित है।
: इस युद्धपोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा है जो तोपखाना हथियार प्रणालियों को लक्षित डेटा प्रदान करता है।
: यह युद्धपोत एक संयुक्त गैस और गैस विन्यास में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है, जो 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
: पी15बी विध्वंसक बेहतर उत्तरजीविता, समुद्री रख-रखाव और गतिशीलता के लिए नई डिजाइन अवधारणाओं को शामिल करता है।
: इसमें बेहतर स्टील्थ भी अर्जित किया गया है, जिससे जहाजों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
इसका इतिहास क्या है:
: इस जहाज को 17 सितम्बर, 2016 को लॉन्च किया गया था और 19 दिसम्बर, 2021 को गोवा मुक्ति के 60 साल पूरे होने पर समुद्री परीक्षण शुरू किया गया था।
: 18 दिसम्बर को इसकी कमिशनिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि 1961 में इसी तिथि को गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त करने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था।