सन्दर्भ:
: लोकसभा अध्यक्ष ने हाल ही में ताशकंद में अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union) की 150वीं बैठक में ‘सामाजिक विकास और न्याय के लिए संसदीय कार्रवाई’ पर मुख्य भाषण दिया।
अंतर-संसदीय संघ के बारें में:
IPU राष्ट्रीय संसद का वैश्विक संगठन है है।
: इसकी स्थापना 1889 में दुनिया के पहले बहुपक्षीय राजनीतिक संगठन के रूप में की गई थी, जो सभी देशों के बीच सहयोग और संवाद को प्रोत्साहित करता है।
: IPU का नारा है “लोकतंत्र के लिए। सभी के लिए।”
: IPU में 181 राष्ट्रीय सदस्य संसदें शामिल हैं।
: इसके 15 एसोसिएट सदस्य भी हैं – ज़्यादातर संसदें राष्ट्रों के समूहों या समान निकायों से ली गई हैं।
: यह लोकतंत्र को बढ़ावा देता है और संसदों को मज़बूत, युवा, लिंग-संतुलित और अधिक विविधतापूर्ण बनने में मदद करता है।
: यह दुनिया भर के सांसदों से बनी एक समर्पित समिति के माध्यम से सांसदों के मानवाधिकारों की रक्षा भी करता है।
: साल में दो बार, IPU 1,500 से ज़्यादा संसदीय प्रतिनिधियों और भागीदारों को एक विश्व सभा में बुलाता है, जो वैश्विक शासन में संसदीय आयाम लाता है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र का काम और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का कार्यान्वयन शामिल है।
: IPU का मुख्य प्रशासनिक और नीति-निर्माण निकाय गवर्निंग काउंसिल है, जो प्रत्येक सभा में मिलती है।
: शासी परिषद प्रत्येक सदस्य संसद से तीन सांसदों से बनी होती है।
: IPU का मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में है।
: इसका वित्तपोषण- इसका वित्तपोषण मुख्य रूप से इसके सदस्यों द्वारा सार्वजनिक निधियों से किया जाता है।
