सन्दर्भ-एक नए अध्ययन के अनुसार,उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सबसे पूर्वी भाग में स्थित यांकती कुटी घाटी
(Yankti Kuti Valley) से हिमनदों के प्रगति की कई घटनाएं सामने आई हैं।
प्रमुख तथ्य-यह घटना 52 हजार वर्ष (MIS 3) पहले की जलवायु परिवर्तनशीलता के साथ तालमेल प्रदर्शित करती है।
:विभिन्न आधुनिक डेटिंग विधियों को नियोजित करके मध्य हिमालय में हिमनदों की प्रकृति के बारे में जानकारी प्राप्त की है।
:पत्रिका क्वाटरनेरी साइंस रिव्यूज में प्रकाशित शोध एक मजबूत कालक्रम और जलवायु साक्ष्य प्रदान करता है जो MIS 3 के दौरान हिमनद सामग्री (मोराइन) की ऊंचाई से दर्शाए गए महत्वपूर्ण बर्फ की मात्रा को प्रदर्शित करता है।
:हालाँकि,मध्य हिमालय में हिमनदों की भू-आकृतियों के कालानुक्रमिक डेटा अभी भी इन क्षेत्रों की दुर्गमता के कारण अध्ययन क्षेत्रों में डेटिंग सामग्री की कमी के कारण सीमित हैं।
:इस प्रकार दो प्रमुख जलवायु प्रणालियों: भारतीय ग्रीष्म मॉनसून और मध्य-अक्षांश पछुआ हवाएं तथा हिमनद के बीच संबंध का अग्रिम अनुमान है।
:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पहली बार मध्य हिमालय से 52 हज़ार वर्षों के दौरान सबसे पुराने हिमनदों की प्रगति की सूचना दी है,जो अंतिम हिमनद मैक्सिमा के दौरान हिमनदों की प्रगति के प्रमाण के रूप में है और बाद में मध्य हिमालय के कई हिस्सों की समय अवधि पहले ही बताई जा चुकी है।
:वैज्ञानिकों ने पाया कि अर्ध-शुष्क हिमालयी क्षेत्रों की नमी की कमी वाली घाटियाँ वर्षा को बढ़ाने के लिए संवेदनशील रूप से प्रतिक्रिया करती हैं।
:अध्ययन MIS 3 के बाद से जलवायु परिवर्तनशीलता के लिए हिमनद प्रतिक्रिया की एक क्षेत्रीय समकालिकता का सुझाव देता है।
:यह अध्ययन उत्तरी अटलांटिक सहस्राब्दी-पैमाने पर जलवायु परिवर्तनों द्वारा शुरू किए गए समकालिक-पैमाने,जलवायु गड़बड़ी के अनुसार था।
महत्त्व क्या है:
:यह अध्ययन हिमालयी जलवायु और हिमनद की गतिशीलता के बीच संबंधों के मौजूदा ज्ञान को बढ़ाने में मदद कर सकता है और मध्य हिमालयी क्षेत्र में घाटी के हिमनदों की प्रगति में भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून (ISM-Indian Summer Monsoon) बनाम पश्चिमी हवाओं की भूमिका का आकलन करने में भी मदद कर सकता है।