सन्दर्भ:
: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर बड़े पैमाने पर नक्सल विरोधी अभियान, मिशन संकल्प (Mission Sankalp), अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है, जिसमें माओवादियों के हताहत होने और रणनीतिक लाभ की पुष्टि हुई है।
मिशन संकल्प के बारे में:
: इसे छत्तीसगढ़ पुलिस, तेलंगाना पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा की संयुक्त कमान के तहत सुरक्षा बलों द्वारा शुरू किया गया।
: कार्य क्षेत्र– कर्रेगुट्टा पहाड़ियाँ, बीजापुर जिला (छत्तीसगढ़) – मुलुगु जिला (तेलंगाना) सीमा।
: इसका उद्देश्य:-
- शीर्ष माओवादी नेताओं, विशेष रूप से पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (सीपीआई-माओवादी की सशस्त्र शाखा) की बटालियन 1 को बाहर निकालना।
- माओवादियों के गढ़वाले ठिकानों को ध्वस्त करना और रसद ठिकानों और बंकरों को नष्ट करना।
: मुख्य विशेषताएं:–
- सैनिकों का जमावड़ा: डीआरजी, एसटीएफ, बस्तर फाइटर्स, सीआरपीएफ, कोबरा और भारतीय वायु सेना के 24,000 से अधिक कर्मी।
- सटीक हमले: दुर्गम इलाकों में हवाई निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर संचालन का उपयोग।
- बरामदगी: ठिकानों से 1,000 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक, राशन का भंडार, डेटोनेटर, मेडिकल किट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए।
: इसका सामरिक महत्व:-
- सबसे बड़ा अंतर-राज्यीय अभियान: केंद्रीय और राज्य बलों के बीच अभूतपूर्व संयुक्त समन्वय को दर्शाता है।
- नेतृत्व को समाप्त करना: मुख्य वन क्षेत्रों में माओवादी कमान की श्रृंखला को पंगु बनाना।
- नागरिक शासन को बढ़ावा देता है: माओवाद प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और कल्याण वितरण का मार्ग प्रशस्त करता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाव: वामपंथी उग्रवाद पर केंद्र की शून्य-सहिष्णुता नीति के साथ संरेखित करता है।
- मनोबल को बढ़ावा: पहले निषिद्ध क्षेत्रों में राज्य के प्रभुत्व का संकेत देता है; नागरिक विश्वास को बहाल करने में महत्वपूर्ण।