सन्दर्भ-न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई (सर्वोच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश) की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग (DELIMITATION COMMISSION) ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन आदेश को अंतिम रूप देने के लिए कल बैठक हुई जिसमे अंतिम रूप दिया गया।
प्रमुख तथ्य-इस आयोग के अन्य सदस्य है- श्री सुशील चंद्रा (मुख्य चुनाव आयुक्त) और श्री के के शर्मा (राज्य चुनाव आयुक्त, केंद्र शासित प्रदेश J & K).
:अंतिम परिसीमन आदेश के अनुसार,केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली तिथि से निम्नलिखित लागू हो जायेंगे:-
1-परिसीमन के उद्देश्यों के लिए जम्मू और कश्मीर को एक इकाई माना गया है,इसलिए,घाटी में अनंतनाग क्षेत्र और जम्मू क्षेत्र के राजौरी तथा पुंछ को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है।
2-90 विधान सभा क्षेत्रों में से 43 जम्मू क्षेत्र का हिस्सा होंगे और 47 कश्मीर क्षेत्र के लिए होंगे।
3-सभी पांच संसदीय क्षेत्रों में पहली बार समान संख्या में विधान सभा क्षेत्र होंगे।
4-पटवार मंडल सबसे निचली प्रशासनिक इकाई है, जिसे बांटा नहीं गया है।
5-सभी विधानसभा क्षेत्र संबंधित जिले की सीमा के भीतर रहेंगे।
6-पहली बार एसटी के लिए नौ सीटें आरक्षित।
7-आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों और पीओजेके से विस्थापित व्यक्तियों के लिए विधानसभा में अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की है।
8-इस पुनर्गठन के बाद, प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में समान संख्या में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र होंगे।
9-प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 18 विधान सभा क्षेत्र होंगे।
10-स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ विधान सभा क्षेत्रों के नाम भी बदल दिए गए हैं।
11-आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों और पीओजेके से विस्थापित व्यक्तियों के लिए विधानसभा में अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की है।
परिसीमन आयोग:
:गठन भारत सरकार द्वारा परिसीमन अधिनियम, 2002 (2002 का 33) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से किया गया था।
:आयोग द्वारा अपने काम के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से निर्वाचित लोकसभा के पांच सदस्यों को जोड़ा गया था।
:परिसीमन आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम,2019 (2019 का 34) के भाग-V एवं परिसीमन अधिनियम,2002 (2002 का 33) के प्रावधानों के अनुरूप जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था।