
चर्चा में क्यो है
आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार केरल में एक ग्रामीण मजदूर( गैर कृषि) 2020 2021 के लिए दैनिक 677.6 रुपए है जो की देश में सबसे अधिक है अन्य राज्यो की तुलना में।
प्रमुख तथ्य
:केरल के मजदूर अपने समकक्ष राज्यो महाराष्ट्र और गुजरात से अधिक और राष्ट्रीय औसत से दोगुना कमाते है।एक ग्रामीण मजदूर का राष्ट्रीय औसत 315.3 रुपए है।
: महाराष्ट्र जो की सबसे अधिक औद्योगीकृत राज्य और कृषि उत्पादों का एक प्रमुख उत्पादक माना जाता है,वहा एक ग्रामीण श्रमिक सिर्फ 262.3 रुपये कमाता है। जबकि गुजरात में यह मजदूरी रु. 239.3 ही है।
:उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण श्रमिकों को औसतन क्रमशः286.8 रुपये 289.3 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं।
:केरल के बाद जम्मू और कश्मीर है जहां ग्रामीण श्रमिकों को 483 रुपये और तमिलनाडु के मजदूरों को 449.5 रुपये मिलते हैं।
:20 में से 15 राज्यों में ग्रामीण दैनिक मजदूरी अखिल भारतीय औसत से नीचे है, यह दर्शाता है कि देश भर में खपत का रुझान दैनिक मजदूरी के आंदोलन के अनुरूप हो सकता है।
:मजदूरी के आंकड़े 20 राज्यों के लिए उपलब्ध हैं।
:अगर हम कृषि क्षेत्र में दैनिक मजदूरी की बात करें तो,केरल में, कृषि क्षेत्र में दैनिक मजदूरी 706.5 रुपये है, इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 501.1 रुपये और तमिलनाडु में 432.2 रुपये है।
:जबकि अखिल भारतीय औसत 309.9 रुपये है, गुजरात के कृषि श्रमिकों को सिर्फ 213.1 रुपये और महाराष्ट्र को 2020-21 के लिए प्रति दिन 267.7 रुपये मिलते हैं।
:पंजाब में यह 357 रुपये और हरियाणा में 384.8 रुपये है।
:2020-21 के लिए अखिल भारतीय डेटा औसतन 11 महीने का है क्योंकि अप्रैल 2020 का डेटा उपलब्ध नहीं है।
:इसी प्रकार निर्माण क्षेत्र में केरल में, निर्माण क्षेत्र में दैनिक वेतन 829.7 रुपये है जबकि अखिल भारतीय औसत 362.2 रुपये है।
:केरल में प्रवासी श्रमिक ही मुख्य कार्यबल हैं। केरल राज्य योजना बोर्ड द्वारा मार्च में जारी एक अध्ययन के अनुसार, 2017-18 के दौरान केरल में अन्य राज्य की तुलना में घरेलू प्रवासियों की कुल संख्या लगभग 31 लाख थी।
:सरकार द्वारा गारंटीड रोजगार के लिए मनरेगा योजना को चला रही है,जिसके अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 100 दिनों की गारंटी मजदूरी रोजगार प्रदान करने के लिए है।