सन्दर्भ- भारत में सदियों से चली आ रही कुश्ती और पहलवानी में दारा सिंह,उदय चांडो,के डी,जाधव, सुशील कुमार,योगेश्वर दत्त,इत्यादि ने दुनिया में देश का नाम रोशन किया,ऐसे ही एक भारतीय पहलवान का नाम था ‘गामा पहलवान’,जिन्होंने कभी भी कुश्ती नहीं हारी,आज उनके 144वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर जन्मदिन मनाया।
प्रमुख तथ्य-:आज 22 मई 2022 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में हुआ था।
:गामा पहलवान का मूल नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट था।
:गामा पहलवान’ इन्हें ‘द ग्रेट गामा’ और रुस्तम-ए-हिंद नाम से भी जाना जाता था।
:इतिहासकारों द्वारा बख्श परिवार को मूल रूप से कश्मीरी हिंदू (भट) माना जाता है,जो भारतीय उपमहाद्वीप के कश्मीर क्षेत्र में मुस्लिम शासन के दौरान इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे।
:उनके पिता का नाम मुहम्मद अजीज बक्श था और पहलवानी के शुरुआती गुर गामा पहलवान को उनके पिताजी ने ही सिखाए थे,बाद में गामा की देखभाल उनके चाचा इदा ने की, जो एक अन्य पहलवान थे,जिन्होंने गामा को कुश्ती का प्रशिक्षण भी देना शुरू किया।
:उन्हें पहली बार दस साल की उम्र में देखा गया था,1888 में,जब उन्होंने जोधपुर में आयोजित एक मजबूत प्रतियोगिता में प्रवेश किया,जिसमें स्क्वाट जैसे कई कठिन अभ्यास शामिल थे।
:प्रतियोगिता में चार सौ से अधिक पहलवानों ने भाग लिया था और गामा अंतिम पंद्रह में से एक थे और जोधपुर के महाराजा द्वारा उनकी कम उम्र के कारण उन्हें विजेता नामित किया गया था।
:गामा को बाद में दतिया के महाराजा द्वारा प्रशिक्षण में लिया गया।
:गामा को प्रसिद्धि 1895 में,17 साल की उम्र में मिली, जब उन्होंने तत्कालीन भारतीय कुश्ती चैंपियन, मध्यम आयु वर्ग के रहीम बख्श सुल्तानी वाला,जो औपनिवेशिक भारत के गुजरांवाला,पंजाब प्रांत,के एक अन्य जातीय कश्मीरी पहलवान को चुनौती देते हुए जीत दर्ज की।
:भारत में सभी पहलवानों को धूल चटाने के बाद उन्होंने 1910 में वे अपने भाई इमाम बख्श के साथ इंटरनेशन कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने इंग्लैंड गए।
:उनकी हाइट केवल 5 फीट और 7 इंच की थी होने के कारण उन्हें इंटरनेशनल चैंपियनशिप में शामिल नहीं किया गया।
:उन्होंने सभी पहलवानो को खुली चुनौती दी की,कि वह 30 मिनट में किसी भी पहलवान को हरा देंगे।
:उन्होंने स्टैनिस्लॉस ज़बीस्ज़्को और फ्रैंक गॉच को चुनौती दी, या तो वह उन्हें हरा देंगे या उन्हें पुरस्कार राशि का भुगतान करेंगे और घर जाएंगे।
:अपनी चुनौती लेने वाले पहले पेशेवर पहलवान अमेरिकी बेंजामिन रोलर थे।
:बाउट में गामा ने पहली बार 1 मिनट 40 सेकंड में रोलर को पिन किया और दूसरे को 9 मिनट 10 सेकंड में।
:दूसरे दिन, उन्होंने 12 पहलवानों को हराया और इस तरह आधिकारिक टूर्नामेंट में प्रवेश प्राप्त किया।
:उन्होंने अपने करियर में कई खिताब जीते,जिसमें वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप (1910) और वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप (1927) भी जीता,जहां उन्हें ‘टाइगर’ की उपाधि दी गई।
:उन्होंने एक दिन में कम से कम पांच हजार बैठक (स्क्वैट्स) और तीन हजार डंड (पुशअप) और कभी-कभी 30 से 45 मिनट के भीतर एक डोनट के आकार का कुश्ती उपकरण पहनकर किया जिसे 1 क्विंटल की हसली कहा जाता है।
:सयाजीबाग में बड़ौदा संग्रहालय में एक 2.5 फीट क्यूबिकल पत्थर रखा हुआ है,जिसका वजन लगभग 1200 किलो है जिसे गामा पहलवान ने 23 दिसंबर 1902 को उठा लिया जाता है।
:उनकी डाइट काफी हैवी हुआ करती थी.वे रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे,इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे,साथ में 200 ग्राम बादाम डालकर ड्रिंक बनाते थे।
:गामा पहलवान ने अपने जीवन की आखिरी कुश्ती 1927 में स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन से लड़ी थी।
:विभाजन से पहले गामा पहलवान अमृतसर में ही रहा करते थे लेकिन सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के कारण वे लाहौर रहने चले गए।
:गामा ने पांच हजार से अधिक मैच लड़े और जीते उनके अंतिम दिन कठिन थे,उसके पाँच बेटे और चार बेटियाँ थीं और सभी बेटे जवान ही मर गए।
:कराची में एक बस सेवा सहित “गामा परिवहन सेवा” नामक विभिन्न असफल उपक्रमों में अपना हाथ आजमाया।
:लम्बी बीमारी के बाद 23 मई 1960 को लाहौर,पाकिस्तान में उनका निधन हो गया।
:ब्रूस ली गामा के प्रशिक्षण दिनचर्या के उत्साही अनुयायी थे,और ली ने जल्दी से उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल भी कर लिया।
:ली द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रशिक्षण दिनचर्या में “कैट स्ट्रेच” और “स्क्वाट” शामिल हैं।